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जानें आज गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

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दीपावली की अगले दिन गोवर्धन की पूजा की जाती हैं। गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से भगवान गोवर्धन की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है। शास्त्रो के अनुसार, गोवर्धन की पूजा द्वापर युग से की जा रही हैं तो आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा कब है। गवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है। इसे देश के कुछ हिस्सों में अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहते हैं।

जानें आज गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

गोवर्धन पूजा तिथि


15 नवंबर 2020

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त

जानें आज गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा


गोवर्धन पूजा, सायाह्नकाल मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 19 मिनट से शाम 5 बजकर 27 मिनट तक (15 नबंवर 2020)

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- सुबह 10 बजकर 36 मिनट बजे से (15 नवंबर 2020)

जानें आज गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

मान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। श्रीकृष्‍ण ने इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं।

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गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन, का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है। गोवर्धन पूजा में 56 भोग भी लगाया जाता है।

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गोवर्धन पूजा को ‘अन्नकूट’ भी कहा जाता है।


ऐसा माना जाता है इस दिन जो व्यक्ति दुखी रहता है वो वर्ष भर दुखी ही रहता है इसलिए अन्नकुट पर्व के दिन प्रसन्न रहकर श्रद्धा और भक्ति के साथ इसको मनाना चाहिए।

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