हरियाणा की इस लड़की ने चमका दिया अपने गांव का भविष्य, बाल मजदूरी से मुक्त कर बच्चों को भेज रही है स्कूल

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देश में कई युवा अपनी अनोखी पहल के जरिये नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहे हैं। हरियाणा के गांव दौलतपुर की चाइल्ड चैपियन अंजू वर्मा ने अनूठी पहल को कायम रखते हुए अपने ग्राम के सभी बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया है।

इस कदम को उठाने के लिए हर तरफ अंजू की तारीफ़ में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। अंजू अपने द्वारा उठाए गए इस कदम से बाल मजदूरी को कम करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य दौलतपुर ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा को सशक्त बनाने का है।

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अंजू ने बताया कि हर रविवार को चाइल्ड चैंपियन टीम गाँव का दौरा करती है और बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को स्कूल भेजा जाता है। अंजू ने बताय कि “जब मैं छोटी थी तो देखती थी कि मेरे कई दोस्त होमवर्क नहीं कर पाते थे और इस बात के लिए उसने उन्हें हमेशा स्कूल में दंड मिलता था। जब मैंने उनसे पूछा कि वह होमवर्क क्यों नहीं करते, तो उन्होंने कहा कि उनके पास घर के बहुत सारे काम हैं और उन्हें कई बार जानवरों का चारा काटने से लेकर गोबर तक उठाना पड़ता है, जिसकी वजह से होमवर्क नहीं हो पाता। ”

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इसके बाद अंजू ने लगातार इन बच्चों की समस्या के बारे में सोचा और इसका समाधान निकालने के प्रयास में जुट गईं कि कैसे उनकी पढ़ाई पूरी हो सके। इसके बाद अंजू ने इन बच्चों के माता पिता से बात की और उनको यह समझाने की कोशिश की वे पैरंट टीचर मीटिंग में जाएं और वहां जानने की कोशिश करें कि उनके बच्चे का पढ़ाई लिखाई में कैसे हैं।

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इस मीटिंग में जाने से उनके आत्मसम्मान को बहुत चोट पहुंची और उन्होंने बच्चों से घर का काम छुड़वाकर उनकी पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू करवा दिया। अंजू ने बताया कि बहुत से बच्चों के माता-पिता गरीबी के चलते बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते, जिससे उनका भविष्य अधर में लटक जाता है और बच्चा सही रास्ता नहीं चुन पाता।

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अंजू ने बताया कि उनका यही मकसद है कि हर बच्चा पढ़े और विकास पथ पर आगे बड़े। शुरुआती सफलता से उत्साहित होकर अंजू ने इस काम को वास्तव में मिशन लेवल पर करना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने ग्राम में पता किया कि पंद्रह सौ बच्चों में से कितने घर में काम करने की वजह से अपनी पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाते।

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अब उन्होंने एक एनजीओ बुलंद उड़ान बनाकर इस काम को आगे बढ़ाने की मुहीम शुरू की है। अंजू का गांव बालश्रम से मुक्त हो चुका है, सभी बच्चे विद्यालय जा रहे हैं।

अंजू की सफलता के बाद उन्हें पहचान मिलने लगी है और अब उन्हें दूसरे शहरों में भी बुलाया जाने लगा। अंजू के माता-पिता भी यह समझते हैं कि वह जो काम कर रही है उससे उनके परिवार का सम्मान में इजाफा हो रहा है।