महामारी के चलते स्कूल बंद है और बच्चों की पढ़ाई आनलाइन कक्षाओं से हो रही है। साइबर ठगों ने भी इसका फायदा उठाने की तरकीब निकाली है। गेमिंग फिशिंग के जरिये बच्चों को फंसाकर वे लोगों के खाते साफ करने की फिराक में हैं।
मोबाइल पर गेमिंग फिशिंग के लिंक मिलने की कम से कम चार शिकायतें साइबर थाना पुलिस को मिली हैं। पुलिस इनकी जांच में जुट गई है। शुरुआती जांच से साफ है कि लिंक बैंक खाते में सेंध लगाने के उद्देश्य से भेजे गए थे। साइबर थाना पुलिस के मुताबिक साइबर ठग लोगों को डिस्काउंट, लाटरी जैसे लुभावने आफर देते हुए लिंक बड़े स्तर पर भेजते हैं। इस प्रक्रिया को फिशिंग कहते हैं। लिंक पर क्लिक करते ही बैंक से संंबंधित जानकारी मांगी जाती है। जानकारी देने के साथ ही साइबर ठग आनलाइन सेंध लगाकर खाता साफ कर देते हैं। ताजा शिकायताें में लिंक पर क्लिक करने पर मोबाइल गेम में खिलाड़ी को पावर या पाइंट देने का आफर दिया गया है। ये गेम ज्यादातर बच्चे खेलते हैं।
साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बसंत कुमार के अनुसार आनलाइन पढ़ाई के चलते माता-पिता का मोबाइल ज्यादातर बच्चों के हाथ में होता है। कुछ बच्चे चुपकेे से मोबाइल में गेम डाउनलोड कर लेते हैं, आनलाइन कक्षा के दौरान माता-पिता से नजर बचाकर गेम खेलते हैं। साइबर ठगों को भी ये बात मालूम है। इसलिए वे गेम से जुड़े फिशिंग मैसेज भेज रहे हैं, ताकि बच्चों को लिंक पर क्लिक करने के लिए लुभाया जा सके। साइबर थाना पुलिस के मुताबिक साइबर ठगों का मकसद अधिक से अधिक लोग को फंसाना होता है। इसलिए वे लाखों लोग को एक साथ फिशिंग मैसेज भेजते हैं। अगर औद्योगिक नगरी में ये मैसेज मिले हैं तो इसका सीधा अर्थ है देश में अन्य लोग को भी भेजे गए होंगे।
इन जगहों से चलता है साइबर ठगी का नेटवर्क :
झारखंड का जामताड़ा साइबर ठगी का गढ़ है। पुलिस की मानें तो देशभर में होने वाली फिशिंग आधारित 80 फीसद ठगी जामताड़ा से होती है। इसके अलावा बिहार, उड़ीसा, कर्नाटक जैसे राज्यों से भी फिशिंग आधारित ठगी होती है।
माता-पिता बच्चों को ऐसे मोबाइल ना दें, जिनसे वे अपने बैंक खाते या ई-वालेट आपरेट करते हैं। अगर देना ही पड़े तो सेंटिंग में जाकर बैंक खातों व ई-वालेट का इंटरनेट बंद कर दें। बच्चों को मोबाइल में गेम डाउनलोड करने से रोकें। जब बच्चा आनलाइन कक्षा ले रहा हो तो कोई अभिभावक उसके साथ जरूर हो। -इंस्पेक्टर बसंत कुमार, प्रभारी साइबर थाना, फरीदाबाद