मां बाप का सपना पूरा करना हर बच्चे का एक अरमान होता है। परंतु कई बार यह सपने दूसरों के लिए भी बवाल खड़ा कर देते हैं। परंतु मन में जज्बा हो तो हर नामुमकिन चीज भी मुमकिन हो जाती है ।ऐसी ही कुछ एक जेबीटी छात्रा ने कर दिखाया है।
जिसने अपने दादा का सपना पूरा करने के लिए खुद को संक्रमित होने के बावजूद परीक्षा केंद्र में आना लाजमी समझा। दरअसल यह पूरा मामला हरियाणा के अंतर्गत आने वाले फतेहाबाद जिले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का हैं।
जहां एक छात्रा कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद परीक्षा देने पहुंचती है। जानकारी के मुताबिक जेबीटी की यह छात्रा रोज एंबुलेंस से परीक्षा केंद्र आती और जाती है। वही अन्य छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखने के बाद उक्त छात्रा को सबसे अलग बिठाया जाता है, और परीक्षा ली जाती है।
यहां शनिवार को देखा गया कि जेबीटी की परीक्षा चालू थी जहां काफी सारे विधार्थी एक साथ परीक्षा दे रहे थे वही एक छात्रा अलग से एक बैंच पर बैठी अपनी मेहनत को कागज के पन्नों पर दर्शाने में मग्न थी।
जानकारी एकत्रित करने पर पता चला कि छात्रा जिसका नाम यामिनी है वह कोरोना से ग्रस्त है और यही कारण है कि इसे एक अलग बेंच पर बैठाया गया है और यह जिले के कस्बा टोहाना की है।
वही छात्रा यामिनी ने बताया कि कुछ दिन पहले उसके दादा मास्टर पूर्णचंद की कोरोना से मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों का भी टेस्ट करवाया गया जिसमे छात्रा में भी संक्रमण की पुष्टि हुई थी। छात्रा ने यह बताया कि वह द्वितीय वर्ष में है और जेबीटी की तैयारी कर रही है।
ऐसे में जब कोरोना पॉजिटिव की बात कॉलेज के प्रिंसिपल को पता चली तो उन्होंने छात्रों को परीक्षा ना देने की बात भी कही थी। छात्रा ने बताया कि उसके दादा का सपना था कि वह जेबीटी शिक्षक बने और उसने इस सपने का पूरा करने के लिए इस महामारी होने के चलते परीक्षा देने की ठान ली।
इसके बाद जब परीक्षा सेंटर में पहुंची । यहां भी सेंटर के प्रशासन ने एक बार परीक्षा देने से रोकना चाहा, लेकिन बाद में उसे अलग बिठाया गया।
कॉलेज जाने से लेकर घर पहुंचने तक लिया जाता है एंबुलेंस का सहारा
बीमारी से ग्रस्त छात्रा को स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस टोहाना से लेकर फतेहाबाद के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पहुंचती है। जब परीक्षा खत्म होती है तो एंबुलेंस ही उसे लेकर वहां टोहाना ले जाती है। इस दौरान स्कूल प्रशासन सतर्कता बरतता है। किसी को भी छात्रा के पास नहीं जाने दिया जाता है। वहीं छात्रा के जाने के बाद स्कूल को सैनिटाइज करवाया जाता है।