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बुजुर्ग ने दी सच्चे प्यार की मिसाल, बीमारी से लड़ रही पत्नी के लिए किया यह कामबुजुर्ग ने दी सच्चे प्यार की मिसाल, बीमारी से लड़ रही पत्नी के लिए किया यह काम

सच्चा प्रेम जहां सिर्फ किताबों और फिल्मों में देखने को मिलता है। वही जबलपुर में यह सच्ची दास्तान देखने को मिली। वैसे तो आजकल का प्यार फेसबुक, व्हाट्सएप से शुरू होता है और इन्हीं पर खत्म हो जाता है। लेकिन जिंदगी भर जो साथ निभाए ऐसा सच्चा प्यार भी आज के दुनिया में पाया जाता है

, यह कह पाना बड़ा मुश्किल होता है। परंतु आज जो हम आपको बताएंगे उसे पढ़ शायद फिर आपके लिए यह मुश्किल का आसान हो जाएगा।

बुजुर्ग ने दी सच्चे प्यार की मिसाल, बीमारी से लड़ रही पत्नी के लिए किया यह कामबुजुर्ग ने दी सच्चे प्यार की मिसाल, बीमारी से लड़ रही पत्नी के लिए किया यह काम

दरसअल, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर हुए 74 वर्षीय ज्ञानप्रकाशजी यहां अपनी पत्नी कुमुदनी के साथ अकेले गुजर बसर करते हैं। वही इनके दो बच्चे जिनमे एक लड़का और एक लड़की दोनों ही विदेश में रहते है। कुमुदनी को सीओटू नार्कोसिस नाम की बीमारी है। इस बीमारी में उनके शरीर से कार्बन डाय ऑक्साईड का उत्सर्जन पर्याप्त नहीं हो पाता है और उन्हें जिंदा रहने के लिए लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। वही महामारी के कारण अस्पताल में इलाज ढंग से नहीं हो पा रहा था।

जिसके बाद रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी के लिए कई मेडिकल डिवाइस भी बनाकर तैयार की हैं। इसमें मोबाइल स्टैथिस्कोप भी अनोखा है जिसमें वो अपनी पत्नी की हार्टबीट मोबाईल में कैद कर लेते हैं और उसकी साउंड फाइल वॉट्सएप के जरिए डॉक्टर को भेज देते हैं

ताकि डॉक्टर बिना घर आए भी कुमुदनी का इलाज जारी रख सकें। इससे सबसे बड़ी समस्या का हल तो यही हो जाता है कि उनकी धर्मपत्नी हो बार-बार डॉक्टर के पास ले जाने लाने की दिक्कत नहीं होती हैं और घर बैठे बैठे डॉक्टर उनकी पत्नी का इलाज भी कर देते है।

रिटायर्ड इंजीनियर ने अपने घर को अस्पताल और अपनी कार को ऑक्सीजन फिटेट एंबुलेंस में बदल दिया। इतना ही नहीं ज्ञानप्रकाशजी ने मरीज़ का खास ख्याल रखते हुए खास बैडरूम भी तैयार किया है। जिसके बाद का नज़ारा घर के बैडरूम अच्छे ख़ासे अस्पतालों के आईसीयू वॉर्ड को मात देते लगते हैं. यहां वैंटिलेटर, ऑक्सीजन, एयर प्यूरिफायर के साथ ऐसी भी कई सुविधाएं हैं जो आम अस्पतालों में नहीं होतीं।

जानकारी के मुताबिक जबलपुर के आधारताल में पत्नी के साथ अकेले रह रहे ज्ञानप्रकाशजी ने अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर्स का पर्याप्त स्टॉक रखा है जिसे वो खुद जरूरत पड़ने पर बदलते रहते हैं। हालांकि, अपनी पत्नी की देखरेख के लिए उन्होंने एक नर्स को भी हायर कर रखा है।

अस्पताल से ज़्यादा घर के आईसीयू में कुमुदनी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं। इससे उनकी सेहत में सुधार भी नजर आने लगा है। ज़रूरी सभी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से भरपूर ये घरेलू अस्पताल ज्ञानप्रकाशजी के प्रेम की मिसाल है।

deepika gaur

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