बिमारी का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है और इस बीच पुलिस प्रणाली की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं। लॉकडाउन के समय पुलिस की कन्टेनमेंट जॉन की व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी थी। सर्दी के मौसम में भयावह होती महामारी को रोकने के लिए पुलिस प्रणाली को सक्रीय किया गया है।
मगर पहले की अपेक्षा पुलिस कर्मियों को ज्यादा संसाधनों का टोटा झेलना पड़ रहा है। आलम यह है कि पुलिसकर्मियों को बगैर सुरक्षा किट के ही कन्टेनमेंट जोन में तैनात कर दिया गया है। मौजूदा स्थिति में जिले में 53 कन्टेनमेंट जोन हैं।
इन इलाकों में पुलिस कर्मियों को तैनात किया हुआ है जहां पुलिस बिना पीपीई किट पहने ड्यूटी पर मुस्तैद हैं। स्मार्ट सिटी धीरे धीरे हॉटस्पॉट बनती जा रही है, महामारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो 36,243 से ज्यादा महामारी के मरीज सामने आ चुके हैं।
इनमे से 31,305 ठीक हो चुके हैं जबकि 300 से ज्यादा की मौत हो चुकी है। जिला प्रशासन द्वारा कन्टेनमेंट जोन में कार्य व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है। इन जोन में निगरानी के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है।
पर हैरान करने वाली बात यह है कि ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को पीपीई किट मुहैया नहीं करवाई गई है। आपको बता दें कि लॉकडाउन के समय पर पुलिस कर्मियों को मास्क, किट और चश्मे दिए गए थे ताकि वह अपनी सुरक्षा का ध्यान रख सकें।
पर अब बिमारी के बढ़ते समय में पुलिस प्रणाली को यह उपकरण नहीं दिए गए हैं। लॉकडाउन के समय पर पुलिस कर्मियों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए संतरों के साथ साथ भोजन का भी ख़ास ध्यान रखा जा रहा था पर अब ऐसा कुछ नहीं हो पा रहा है।
पुलिस प्रणाली अपनी सुरक्षा के लिए खुद से हि व्यवस्था कर रहे हैं। बिमारी का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। गर्मी के मौसम से ज्यादा भयावह हालात इस समय पर हो रखे हैं। पर इस समय पर पुलिस प्रणाली की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
इस समय पर पुलिस को खुद से ही सैनेटाइजर का इंतजाम करना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है लोगों की सुरक्षा में जुटे पुलिसकर्मियों को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाए।