शहर में नगर निगम के काम तो सभी ने बखूबी से देख ही लिए है ,आज पूरा शहर नगर निगम के कार्य से परेशान है। लाखो का बजट पास होने के बाद भी लोगो को उनकी परेशानी से निजात नहीं मिल रही है। 15 करोड़ का बजट पास होने के बाद भी नगर निगम कर्जे के डूबा हुआ है ,और साथ ही पुरे शहर को परेशानी में डूबा रखा है।
शहर के सेक्टरों में भी अब सड़कें, सीवर व पेयजल की सुविधाएं नगर निगम मुहैया कराएगा। एक दिसंबर से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण अपनी यह सर्विस नगर निगम को सौंप देगा। इसके बाद यह सभी मूलभूत सुविधाएं शहरवासियों को देने की जिम्मेदारी नगर निगम की होगी। नगर निगम को सेक्टरों के लोगों को इन सुविधाओं पर सालाना 15 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने होंगे। सबसे अहम बात यह होगी कि शहर के तकरीबन सभी लोगों को एक ही छत के नीचे मूलभूत सुविधाओं का समाधान होगा।
आमजन को मूलभूत सुविधाओं से संबंधित जरूरत की पूर्ति के लिए दो विभागों में चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। फिलहाल लोगों को अपनी सुविधाओं के लिए दोनों विभागों में चक्कर काटने पड़ते हैं। इस कारण से उन्हें कई तरह की परेशानियां फेस करनी पड़ती हैं। कई लोग पार्षदों को अपनी समस्याएं बताते हैं ताे पार्षद भी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में कार्यों को कराने में असहज महसूस करते हैं, जबकि लोग उन पर कार्य कराने का दबाव बनाते रहते हैं। लेकिन नगर निगम के अधीन यह सुविधाएं आने से ऐसी समस्याओं से राहत मिलेगी।
बजट की किल्लत होने पर एचएसवीपी को आई याद
एक्ट के अनुसार जो सेक्टर पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं, उसे तुरंत नगर निगम के अधीन करना होता है, जबकि सेक्टरों को पहले ही नगर निगम के अधीन किया जा चुका है, लेकिन अब इनमें सड़कें, सीवरेज व पानी जैसी सुविधाएं भी नगर निगम ही देगा। ऐसा होने से एचएसवीपी से खर्च का बोझ हटेगा और नगर निगम पर पड़ेगा। एचएसवीपी के पास बजट की कमी चल रही है। कर्मचारियों को वेतन देने में भी दिक्कत आ रही है। हजारों करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी बिक नहीं रही है। 14 हजार करोड़ रुपए का लोन चल रहा है। लेकिन एचएसवीपी को अब ऐसी ही स्थिति सेक्टरों की मूलभूत सुविधाओं को नगर निगम को देने की याद आई है।
नगर निगम में डेपुटेशन पर जाएगा 65 कर्मियों का स्टाफ
सेक्टरों में सीवर व पेयजल जैसी सुविधाओं की मेंटेनेंस के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से तकरीबन 65 कर्मचारियों का स्टाफ नगर निगम में डेपुटेशन पर जाएगा। जो कर्मचारी डेपुटेशन पर निगम में जाएंगे उनमें सीवरमैन, फिटर, ऑपरेटर व इलेक्ट्रिशियन ग्रुप के होंगे। इन सुविधाओं की मेंटेनेंस व बिजली बिल और कर्मचारियों की सेलरी जैसे सभी तरह के खर्चों को जोड़ा जाएगा तो 15 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होगा।