महाराणा प्रताप जयंती आज , जानिए इनसे जुड़ी जरूरी बातें ।

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आज राजस्थान के वीर सपूत , महान योद्धा और अद्भुद शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की 480 वीं जयंती है । हिंदुस्तान देश हमेशा से ही क्षत्रियों के लिए जाना जाता है , इस धरती पर एक से बढ़कर एक शूरवीर क्षत्रियों ने जन्म लिया जिन्हें आज भी पूरी दुनिया में पूजा जाता है । भगवान राम भी क्षत्रिय राजपूत जिनकी गाथा पूरे विश्व में है और आज भी हिन्दू धर्म में भगवान राम को पूरे हिन्दुस्तान में पूजा जाता है ।

हिंदुस्तान का नाम सुनते ही दिमाग में क्षत्रियों कि छवि नज़र आती है । हिंदुस्तान की धरती को बचाने के लिए हर युग में क्षत्रियों ने अपना पूरी तरह योगदान दिया है । यदि प्राचीन समय की बात करी जाए तो केवल क्षत्रिय ही उस जमाने में शासन किया करते थे। पीढ़ी दर पीढ़ी क्षत्रियों ने कई साल राज किया और अपने राज सिंहासन की भी सुरक्षा कि इसलिए इन्हे राजाओं के पुत्र राजपूत कहा जाता है । क्षत्रिय धर्म को बयां करना इतना आसान नहीं है क्योंकि इनकी गाथा एक इतिहास है जिसे कोई नहीं बदल सकता , अनेक शूर वीरों ने जन्म लिया और अनेकों ने अपनी जान पर खेल कर देश सुरक्षा करी। इन्हीं क्षत्रियों में से एक महान शूर वीर मेवाड़ के महाराज महाराणा प्रताप है।

आज के दिन महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर देश भर राजपूत बहुत बड़ी रैली निकलते है ।इस रैली को देख कर ये ज्ञात हो जाता है कि आज भी हिंदुस्तान की धरती पर वो राजपूत है जो किसी अन्य देश को अपने हिंदुस्तान की ओर झांकने भी नहीं देंगे ।

महाराणा प्रताप की कुछ बड़ी बातें , जिन्हें जानकर हक्के बक्के रह जाएंगे आप ।

  • महाराणा प्रताप का जन्म उदय सिंह एवं माता रानी जीवत कंवर के घर हुआ था ।
  • प्रताप जी के पास एक चेतक नाम का घोड़ा था , जिसकी चुस्ती फुर्ती की गाथा युगों युगों तक चलती आई है और राणा जी के कई युद्ध जीतने में भी सहायता की।
  • वैसे तो महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कई लड़ाइयां लड़ी लेकिन सबसे बड़ी लड़ाई थी हल्दी घाटी की जिसमे मान सिंह के नेतृत्व में उनका सामना अकबर की विशाल सेना से हुआ ।इस महा युद्ध में महाराणा प्रताप ने 20 हज़ार सैनिकों के साथ 80 हज़ार सैनिकों का सामना किया ।इससे पहले कई बार महाराणा प्रताप ने मुगलों को हराया था लेकिन फिर अधिकांश राजपूत मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और कई सालो तक संघर्ष किया ।
  • राजपूतों ने हार नहीं मानी और 1582 में महाराणा प्रताप ने मुगलों पर विजय प्राप्त की और उनके हतियाए क्षेत्र वापिस ले जीत लिए ।1585 में मेवाड़ को मुक्त करने ने सफल रहे ।

-1596 में शिकार खेलते वक्त उन्हें चोट लगी जिससे वो कभी उभर नहीं पाए 19 जनवरी 1957 में 57 वर्ष की उम्र में चावड़ में उनका देहांत हो गया।

इस बात से यह साबित हुआ की उनका सामने करने वाला कोई नहीं था , वे स्वयं ही मृत्यु को प्राप्त हो गए । कहा जाता है उनका कद 7 फीट से भी ऊंचा था और आज कल के नौजवानों में जितना वजन होता है उतना तो उनके भाले में वजन हुआ करता था 80 किलो का भला वे हमेशा अपने साथ रखते थे ।

हर साल महाराणा प्रताप की जयंती देखने दिखाने लायक मनाई जाती है।राजपूतों का काफिला देख पूरी दुनिया दंग रह जाती है ।लेकिन राजपूत धर्म हमेशा से ही हिंदुस्तान कि रक्षा के लिए जाने जाते है इसलिए महामारी के दौरान देश के राजपूतों ने घरों ने रह कर दीपक जलाने का निश्चय किया और कई इलाकों में इस दिन को आज दीवाली कि तरह मनाया जाएगा और मनाया भी क्यों ना जाए भगवान राम भी राजपूत थे और महाराणा प्रताप भी । दोनों ही भारत देश के इतिहास के पन्नों में दर्ज है ।क्षत्रियों हमेशा से ही भारत देश के गौरव का प्रतीक है ।

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