देश में कोरोनावायरस के बढ़ते कदम ने प्रत्येक जिले को जोन के आधार पर विभाजित कर दिया है। इन जोनों में तीन रंगों को शामिल किया गया है जो है ग्रीन, ऑरेंज और रेड और इन्हीं जोनों के आधार पर प्रत्येक जिले में छूट देने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन कोरोना विरोधी अभियान की कुछ खामियां लोगों के सर के ऊपर से गुजर रही है।
आपको बताते चलें फरीदाबाद में गुरुग्राम की तुलना में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या कम है इसके बावजूद गुरुग्राम को ऑरेंज जोन और फरीदाबाद को रेड जोन में रखा गया है। आपको आंकड़ों के अनुसार अगर बताएं तो 7 मई की शाम तक के गुरुग्राम तथा फरीदाबाद में काफी अंतर है।
7 मई की शाम तक गुरुग्राम में 66 एक्टिव केस थे जबकि फरीदाबाद में कुल 33 एक्टिव केस है वही 7 मई की शाम तक गुरुग्राम में 117 पॉजिटिव केस है जबकि फरीदाबाद में उसी दिन कुल 85 संक्रमित थे।
इस आधार पर देखा जाए तो कंट्राडिक्शन के अनुसार क्षेत्रों में कलर कोडिंग की प्रक्रिया में कहीं ना कहीं कोई कमी रह गई है या फिर हम यह भी कह सकते हैं जोनवार कलर कोडिंग के समय-समय पर समीक्षा करने में असफल रहा है।
अगर मामले देखे जाए तो फरीदाबाद जिले से ज्यादा गुरुग्राम में है ऐसे में वहां लोकडाउन के रहते छूट देना कितना खतरनाक हो सकता है। क्योंकि लोगों के दिमाग में यही बात आयेगी कि उनका जिला नारंगी जोन में है तो ऐसे में उन्हें ज़्यादा ऐतियात बरतने की जरूरत नहीं होगी।
लेकिन इस तरह की सूचना लोगों के बीच में गलतफहमियों को जन्म देे रहीं हैं, जो आमजन कि सेहत के साथ खिलवाड़ करने के समान है। ऑरेंज और रेड जोन का यह असमंजस बरकरार रहा तो आने वाले समय में सरकार को या फिर यूं कहें पूरे समाज के लिए एक खतरे की घंटी के सामान होगी।