एक तरफ प्रशासन पूरे प्रयास कर रहा है कि क्षेत्र में सुशासन चल पाए पर अधिकारी इस कवायद को मुमकिन नहीं होने दे रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा साफ़ तौर पर आदेश दिए गए हैं कि तमाम सरकारी कार्यालयों में 11 से 12 बजे तक का समय जनता की शिकायतों को सुनने के लिए है।
पर क्षेत्र में मौजूद सरकारी दफ्तरों में ऐसा नहीं हो पा रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आदेश की सरकारी महकमों में अवहेलना की जा रही है। सरकारी दफ्तरों में कार्यरत अधिकारी अपनी कुर्सियां छोड़ गायब रहते हैं और जनता की परेशानियों का जायज़ा नहीं लिया जाता।
अपनी परेशानियां लेकर आने वाले अभिभावक पूरा समय सरकारी महकमों में शासन प्रशासन को कोसते हुए इधर उधर भटक रहे होते हैं। सरकारी दफ्तरों की पड़ताल करने पर पता लगता है कि ऐसे कई अधिकारी हैं जो अपने काम को लेकर सक्रीय नहीं है।
अधिकारियों की लापरवाही के परिणाम स्वरुप जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। जब भी किसी अधिकारी के मौजूद न होने की वजह पूछी जाती है तो फटाक तरीके से मीटिंग का बहाना अभिभावक के मुँह पर मार दिया जाता है।
जब इस पूरे मामले को जिला उपायुक्त यशपाल यादव के संज्ञान में लाया गया तो उनका कहना था कि आगे से इस पूरे मामले में देख रेख की जाएगी। अगर कोई भी अधिकारी जनता की परेशानियों को नहीं सुनता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे।
आपको बात दें कि बहुत से सरकारी कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन्हे जो समय के पाबन्द नहीं हैं। न समय से दफ्तर आते हैं ना ही जनता की परेशानियों का ब्यौरा लिया जाता है। नगर निगम कार्यालय में पहुंचकर देखा जा चुका है कि सरकारी मुलाजिम अपने टेबल पर मौजूद नहीं रहते और न ही लोगो का काम हो पाता है।
आपको बता दें कि बहुत बार लोगों को निराश होकर घर लौटना पड़ता है जब उनका काम नहीं हो पाता।