बढ़ते प्रदूषण में सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है। शहर में प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। दीपावली के बाद से ही शहर की एयर क्वालिटी वायु गुणवत्ता खराब से बदतर होती जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) के आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि शहर में रहने वाले लोगों के लिए यहां सांस लेना भी दुष्कर हुआ पड़ा है।
प्रदूषण की समस्या दीपावली के त्यौहार से पहले भी थी जिसके चलते एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आप सहमति से यह निर्णय लिया था कि दीपावली के त्यौहार पर किसी को भी पटाखे और आतिशबाजी छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पटाखों और आतिशबाजी ऊपर पूरी तरह से बैन लगने का आम जनता के साथ ही पटाखों के कारोबारियों और दुकानदारों ने भी खासा विरोध किया था। जिसके बाद रात को 2 घंटे 8:30 सेट 10:30 के बीच पटाखे छोड़ने पर सरकार द्वारा अनुमति दे दी गई थी।
प्रदूषण को नियंत्रण में करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। दिन प्रतिदिन वायु की घटती गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है। इसी बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने असंगत बयान जारी किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिसंबर के महीने में मनाए जाने वाले बड़े त्यौहार क्रिसमस और नए साल पर ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति पहले ही दे दी है।
रात को 11:55 से 12:30 के बीच जिन इलाकों में वायु की गुणवत्ता मॉडरेट यानी सामान्य है वहां पर ग्रीन पटाखे और आतिशबाजी छोड़े जाने की अनुमति देते ही एनजीटी कटघरे मैं खड़ा हो गया है। जहां एक और दिवाली पर पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया था वहीं क्रिसमस और नए साल पर पहले ही अनुमति दे देने की वजह से कई लोग एनजीटी की कार्यशैली और हिंदू विरोधी रवैया पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसे में एनजीटी के लिए जनता के सामने अपना पक्ष रखना बेहद जरूरी हो गया है।