सोते सोते जाग रहा है नगर निगम, अब जाकर आई गरीबों के घर की याद

0
316

बल्लभगढ़ के बापू नगर और एनआईटी डबुआ कालोनी में गरीबों के लिए बनाए गए मकानों की दशा बहुत खराब हैं जिन्हें अब सुधारा जाएगा। बिजली-पानी की व्यवस्था, सड़क, दरवाजे और टूटी खिड़कियां की मरम्मत तथा पार्क बनाने के बाद यहां के मकान मजदूरों को किराए पर दिए जाएंगे।

इन क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत 2500 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक किराया वसूला जाएगा। बल्लभगढ़ के बापू नगर में और एनआईटी डबुआ कालोनी में तकरीबन 2296 मकान खाली पड़े हुए हैं। इन मकानों को किराये पर देने की योजना बना ली गई है। इसके लिए अर्फोडेबल रेंटल हाउसिग स्कीम बनाई गई है।

सोते सोते जाग रहा है नगर निगम, अब जाकर आई गरीबों के घर की याद

निगमायुक्त डा.यश गर्ग ने इसके लिए कमेटी भी बना दी है। इस कमेटी में मुख्य नगर योजनाकार धर्मपाल सिंह, नगर निगम के अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा तथा नगर परियोजना अधिकारी द्वारका प्रसाद को शामिल किया गया है। निगमायुक्त डा. यश गर्ग ने कमेटी बनाने के साथ-साथ अर्फोडेबल रेंटल हाउसिग स्कीम के तहत एनबीबीसी के मुख्य महाप्रबंधक डीके मित्तल तथा प्रवीण बासवान के साथ बैठक भी की है।

सोते सोते जाग रहा है नगर निगम, अब जाकर आई गरीबों के घर की याद

इस बैठक में एनआईटी डबुआ कालोनी और बलभगढ़ के बापू नगर के मकानों की दशा सुधारने पर चर्चा की गई हैं। बता दें कई वर्ष पूर्व बापू नगर में एनबीसीसी ने जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन मिशन के तहत 1280 मकान बनवाए थे। 1280 मकानों में से 149 मकान जरूरतमंद लोगों को अलाट कर दिए गए थे।

सोते सोते जाग रहा है नगर निगम, अब जाकर आई गरीबों के घर की याद

इसी तरह एनआईटी डबुआ कालोनी में बनाए गए 1968 मकानों में से 203 मकान जरूरतमंदों को अलाट कर दिए गए थे। बता दें यहां कई मकान जर्जर हालत में हैं। पार्क के लिए जगह है, लेकिन पार्क भी विकसित नहीं हैं। सड़कें भी जर्जर पड़ी हैं। ज़्यादातर मकानों के खिड़की और दरवाजे टूट चुके हैं। बीते दिनों यहां प्रधानमंत्री आवास योजना की टीम ने दौरा किया था।

सोते सोते जाग रहा है नगर निगम, अब जाकर आई गरीबों के घर की याद

जब यह टीम नगर निगम के साथ एनआईटी डबुआ कालोनी में गई थी, तब उस वक़्त यह चर्चा हुई थी कि जब तक स्थायी रूप से जरूरतमंद लोगों को मकान अलाट नहीं किये जाते हैं। तब तक ये मकान मजदूरों को किराये पर दे दिए जाएं। यहां पर लोग रहने लगेंगे, तो इससे मकान और ज़्यादा जर्जर नहीं होंगे। एनबीसीसी से अनुमानित लागत का ब्यौरा भी मांगा गया है।

आपको बता दें एनबीसीसी को एक महीने का वक़्त दिया गया है। इसके बाद समस्त कार्य निजी एजेंसी से करवाया जाएगा। फिर से मजदूरों को मकान देने की प्रक्रिया अर्फोडेबल रेंटल हाउसिग स्कीम के तहत शुरू की जाएगी।

Written by: Bharti