हरियाणा सरकार द्वारा फरीदाबाद नगर निगम में जिले के 26 गांवों को शामिल करने की चुनौती देने वाली याचिका को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया है। उधर, गांव की सरपंच एसोसिएशन की याचिका खारिज करते हुए एचसी ने कहा कि फिलहाल अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है, केवल वार्तालाप की जा रही है। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने के उपरांत ही याचिका का कोई सही औचित्य सामने आएगा।
उधर, एसोसिएशन ने अपनी बात रखते हुए हाईकोर्ट को बताया कि जनगणना के अनुसार भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने 28 जुलाई 2020 को यह आदेश पारित किया था कि जनगणना के सभी प्रशासनिक इकाई की सीमाएं 31 मार्च 2021 तक फ्रीज ही रहेंगी। उन्होंने कहा कि आदेश के अनुसार फिलहाल अभी नगर निगम की सीमाओं को ना तो घटाया जा सकता है
और ना ही बढ़ाया भी जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार द्वारा गांव को जिले में शामिल करने पर पुरजोर प्रयास किया जा रहा है, यद्यपि ऐसा होता है तो यह केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ होगा। इसके साथ ही याची ने बताया कि जिन गांवों को निगम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है वह शुरू से ही इसका विरोध कर रहे हैं और निगम में शामिल होने का प्रस्ताव तक पास नहीं किया है।
याची का कहना है कि वैसे तो नगर निगम द्वारा अपने वार्डों का ही ठीक से रखरखाव नहीं किया जाता है।और उधर वह इसे अपने विकास करने पर पुरजोर प्रयास कर रही है। परंतु लगता नहीं है विस्तार करने के बावजूद भी वह इसके रखरखाव में कोई अहम भूमिका अदा नहीं कर पाएगी। याची ने कहा कि यह फ़ैसला केवल नाममात्र गांव के विकास के लिए है जबकि असल में तो गांवों की बहुमूल्य जमीन को हड़पने के लिए है।
याची ने कहा कि जो गांव स्वतंत्र हैं वे सही स्थिति में हैं, जबकि जिन गांवों को नगर निगम में पूर्व में शामिल किया गया था उनकी स्थिति दयनीय हो चुकी है। राज्य में पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने को है और पंचायत चुनाव से ठीक पहले गांवों का निगम में विलय करने का फैसला सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाता है। याचिकाकर्ता ने सरकार के इस निर्णय पर तुरंत रोक लगाने की हाईकोर्ट से मांग की है।