टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में गिने जाते हैं। टाटा ग्रुप के कार बिजनेस की शुरुआत रतन टाटा ने ही की थी। टाटा मोटर्स को लेकर एक किस्सा है।
जो कि काफी प्रेरक और दिलटाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में गिने जाते हैं। टाटा ग्रुप के कार बिजनेस की शुरुआत रतन टाटा ने ही की थी। टाटा मोटर्स को लेकर एक किस्सा है जो कि काफी प्रेरक और दिलचस्प है।
किस्सा सन् 1998 का है उस समय रतन टाटा ने अपनी कार इंडिका को लांच किया था। जो उनका ड्रीम प्रोजेक्ट थी। हालांकि कार से जितनी उम्मीदें थी वो इस पर खरी नहीं उतरी और टाटा मोटर्स को भारी नुकसान हुआ। जिससे उभरने के लिए शेयरहोल्डर्स ने टाटा कंपनी के शेयर बेचने का सुक्षाव दिया।
वर्ष 1999 में अमरीका के डेट्रायट में फोर्ड के अधिकारियों के साथ टाटा और अन्य शीर्ष अधिकारियों की बैठक को याद करते हुए टाटा समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, उन्होंने हमसे कहा-आपको कुछ पता नहीं है, आखिर आपने यात्री कार खंड में कदम रखा ही क्यों।
उन्होंने कहा कि वे हमारे कार व्यवसाय को खरीदकर हम पर एहसान करेंगे। वहीं वो अपमान को नहीं सह सके। उस दौरान रतन टाटा पहले ही अपनी कंपनी को बेचने के प्रस्ताव से दुखी थे, और इस बात ने उन्हें अंदर तक हिला दिया था।
वे मीटिंग को अधूरा छोड़कर भारत लौट आये और टाटा मोटर्स को नहीं बेचने का फैसला किया। उन्होंने फिर एक बार मेहनत की और इस बार कंपनी चल निकली। टाटा मोटर्स के डिज़ाइन डिवीज़न में रतन टाटा बदौलत इतना बदलाव हुआ की 2008 में टाटा की एक कार इंडिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार बन गयी।
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