उच्च शिक्षा के लिए टॉपर बने छोटे से गांव के इस लड़के ने राजमिस्त्री बन पेश की मिसाल

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अपनी मंजिल को पाने के लिए व्यक्ति रास्ता खुद व खुद ढूंढ लेता है और फिर पेश करता है एक मिसाल। इसका साक्षात् उद्धरण है बिहार का गोपाल गंज जिले के किसान का छोटा बेटा मिथलेश। लॉक डाउन की आर्थिक मार झेल रहे मिथलेश को अपनी आगे की पढ़ाई के राज मिस्त्री का कार्य करना पड़ा।

उच्च शिक्षा के लिए टॉपर बने छोटे से गांव के इस लड़के ने राजमिस्त्री बन पेश की मिसाल

लॉक डाउन की वजह से मिथलेश का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था जिसके चलते 12 वी का टॉपर को अपनी आगे की पढ़ाई के लिए राज मिस्त्री का कार्य करने पर मजबूर हुआ। आगे की पढ़ाई के लिए मिथलेश ने राजमिस्त्री का कार्य कर पैसा इकठा किया। और डी यू में ब कॉम में एडमिशन लिया।

कहते है अगर इरादे बुलंद हो तो इंसान पूरी कायनात अपने कदमो में झुका सकता है। छोटी सी खेती किसानी करने वाले किसान उमाशंकर ने बेटे मिथलेश को पढ़ाई के लिए बिहार के गोपालगंज जिले में सोनीपत भेजा था। वह हर महीने उसकी पढ़ाई के लिए थे। उसने पढ़ाई हरियाणा वैदिक स्कूल में १२ में टॉप किया। लेकिन लोक डाउन के कारण वह अपने बेटे को पैसे नहीं भिजवा पा रहे थे।

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लेकिन उनका बेटा इतना मेहनती था की उसने अपने बाप की परेशानी सामजी और खुद दिन का 500 रूपए कमाकर अपने कॉलेज की फीस भरी। मिथलेश दिन में 10 घंट कार्य करता था और अपने दाखिले के लिए पैसे जुटाता था। एक बार अचानक उस निर्माण साइट पर उसकी टीचर पहुँच गए और उसकी म्हणत देख उनकी आँखों में अंशु आ गए। और उन्होंने उससे यह कार्य छोड़ने का कार्य को कहा तो मिथलेश ने जवाब दिया की कोई कार्य छोटा बड़ा नहीं होता।