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किसान आंदोलन ने करी बुनकर समाज की बल्ले बल्ले ,गरम कपडे पहना हुआ इतने फीसद महंगा

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किसान आंदोलन का असर सब्जियों के साथ साथ अब गरब कपड़ो पर भी दिखने लगा है। पानीपत से आने वाले रजाई, कम्बल ,व अन्य ऊनि वस्त्रो के दाम 20 प्रतिशद तक महंगे हो गए है। पानीपत जिसे रजाई ,कम्बलो का हब माना जाता है। वहाँ से गरम कम्बलो एवं अन्य गरम वस्त्र सीधा दिल्ली ट्रांसपोर्ट होता था।

किसान आंदोलन ने करी बुनकर समाज की बल्ले बल्ले ,गरम कपडे पहना हुआ इतने फीसद महंगा

लेकिन व्यापारी के मुताबिक इस दिल्ली बॉर्डर पर किसानो ने अपना डेरा डाला हुआ है। ऐसे में वाहनों ने अपना रुत बदला हुआ है। इन वाहनों को सोनीपत से के एम् पी से पलवल के रस्ते फरीदाबाद पहुंचना पड़ रहा है। ऐसे में न तो ट्रान्सपोर्टो को ने कॉल करीब 50 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पद रहा है।, बल्कि टोल टेक्स पर अधिक राशि भी चुकानी पद रही है।

ठण्ड का मौसम शुरू हो चूका है वही सदियों का सीजन भी है। जिसकी वजह से मार्किट में गर्म कपड़ो की डिमांड बढ़ जाती है। ग्राहकों की डिमांड को देखते हुए दूकानदार भी मार्किट में नए नए डिजाइन के कपडे कम्बल इत्यादि लेन की कोशिश कर रहे है।

किसान आंदोलन ने करी बुनकर समाज की बल्ले बल्ले ,गरम कपडे पहना हुआ इतने फीसद महंगा

पानीपत को माना जाता है गरम कपड़ो का हब


पानीपत को बुनकरों का शहर ( city of weavers) भी कहा जाता है। और इसे कम्बल ,ग्राम कपड़ो का भी हब मन जाता है। ज्यादा तर गरम वस्त्र पानीपत से अन्य देशो में ट्रांसफर होते है। पानीपत से दिल्ली में 50 हजार कम्बलो का होता है ट्रांसपोर्ट।

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