किसानों की आवाज़ हो रही बुलंद, अब महाराष्ट्र के ये मंत्री भी पहुंचे किसान आंदोलन के समर्थन में

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हरयाणा और पंजाब के किसान इन दिनों सड़कों पर उतर आये हैं। सरकार और किसानों के बीच निरंतर विरोधाभास और टकराव की स्थिति बानी हुई है जिसके चलते किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा पारित किये गए कृषि अध्यादेश किसानों के नहीं बल्कि पूंजीपतियों के हिट में हैं और अम्बानी-अडानी की जेब भरने वाले हैं। इसी लिए किसानों की मांग है कि सरकार इन काले कानूनों को वापिस ले। वहीँ सरकार, किसानों को मानाने का हर संभव प्रयास कर रही है।

किसानों की आवाज़ हो रही बुलंद, अब महाराष्ट्र के ये मंत्री भी पहुंचे किसान आंदोलन के समर्थन में

फरीदाबाद से सटे पलवल में भी विरोध के स्वर गूँज रहे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ यहां चल रहे धरने में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री बच्चू कडू पहुंचे। उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नए कृषि कानूनों में अडानी-अंबानी के सिवा कुछ नहीं है। किसानों का पहले ही ये मानना है कि यह नए कानून किसानों के हित में नहीं बल्कि पूंजीपतियों की जेब भरने के लिए लाये गए हैं।

किसानों की आवाज़ हो रही बुलंद, अब महाराष्ट्र के ये मंत्री भी पहुंचे किसान आंदोलन के समर्थन में

इतना ही नहीं, कई किसानों का तो यहाँ तक कहना है कि जब पीएम लोगों को अपने मन की बात कह सकते हैं तो उन्हें किसानों के मन की बात भी सुननी चाहिए। बहरहाल, सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन की बात किसानों ने ठुकरा दी है और छटे स्तर की बातचीत भी बेनतीजा रही।

किसानों की आवाज़ हो रही बुलंद, अब महाराष्ट्र के ये मंत्री भी पहुंचे किसान आंदोलन के समर्थन में

महाराष्ट्र के मंत्री अपने काफिले के साथ राजस्थान बार्डर से नूंह जिले में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन बार्डर पर उनके काफिले को रोक दिया गया। उन्हें केवल 50 बाइकों के साथ आगे जाने की अनुमति दी गई। देश के कोने-कोने से किसान आंदोलन की रेल चली हुई है। यदि आंदोलन रूपी रेल के डिब्बे में कोई गलत व्यक्ति सवार हो गया तो उसका आंदोलनकारी किसान विरोध करते हैं। मौजूदा परिस्थिति के मद्देनज़र हालात जितनी जल्दी हो सकें संभल जाएं तो बेहतर है।