हरियाणा और पंजाब के किसान केंद्र सरकार द्वारा अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए दिसंबर की सड़कों पर काटने के लिए मजबूर हो गए हैं। किसानों का मानना है कि केंद्र द्वारा जो कृषि अध्यादेश पारित किए गए हैं वे किसानों के हित में नहीं बल्कि पूंजी पतियों की जेब भरने वाले हैं। ऐसे में किसानों का यह मुद्दा जैसे-जैसे सर्वव्यापी होता जा रहा है। अनेकों लोग इस पर अपनी राय रख रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर के महानिदेशक रह चुके और हरियाणा किसान आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ. एस परोदा ने किसानों के आंदोलन के चलते एक बड़ी सलाह दी है।
डॉक्टर परोदा का कहना है कि पहले तो किस सभी किसानों को सरकार द्वारा पारित या देशों को पढ़ने और उनका अध्ययन करने की जरूरत है। बिना पढ़े किसानों को अधूरा और अपर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। जो उनके खुद के लिए और समाज के लिए हानिकारक है। इतना ही नहीं डॉक्टर पर्दा का यह भी कहना है कि किसानों को एमएसपी से ज्यादा खरीदारों की जरूरत है। ऐसे में किसान को खुद को जितना ज्यादा मार्केट से जुड़े उतना अच्छा होगा उनका मानना है कि जो किसान मार्केट से जुड़ गया उसकी नैया पार हो गई इसीलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मिनिमम सपोर्ट प्राइस से जरूरी है।
खरीदार का मिलना बता दें कि किसानों और सरकार के बीच निरंतर गतिरोध और टकराव की स्थिति बनी हुई है। जिसके चलते कई दिनों से खींचातानी हो रही है। सरकार द्वारा छठे स्तर की बैठक भी बेनतीजा रही जिसके बाद किसानों का यह प्रदर्शन और ज्यादा प्रचंड और उग्र होता जा रहा है। वहीं हरियाणा की हुड्डा सरकार के समय डॉ. आर एस परोदा किसान आयोग के चेयरमैन रहे थे और उन्होंने समाज कल्याण और देश हित में काफी योगदान दिया था।
ऐसे में अपनी कृषि जगत को दी हुई सेवाओं को आज भी याद करते हुए डॉ. परोदा ने किसानों को यह बड़ी सलाह दी है। बता दें कि डॉ. परोदा को 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में कृषि के क्षेत्र में बेहतरीन कार्यों के लिए पद्मा विभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया था।