हरयाणा और पंजाब के किसान इन दिनों सड़कों पर उतर आये हैं। सरकार और किसानों के बीच निरंतर विरोधाभास और टकराव की स्थिति बानी हुई है जिसके चलते किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा पारित किये गए कृषि अध्यादेश किसानों के नहीं बल्कि पूंजीपतियों के हिट में हैं और अम्बानी-अडानी की जेब भरने वाले हैं। इसी लिए किसानों की मांग है कि सरकार इन काले कानूनों को वापिस ले। वहीँ सरकार, किसानों को मानाने का हर संभव प्रयास कर रही है।
कुंडली बार्डर पर जमे किसानों के पक्ष में किसानों का जोश और जज्बा बरकरार है। यहां प्रदेश के अलग-अलग जिलों से किसानों का पहुंचना लगातार जारी है। कुंडली बार्डर पर हरियाणवी रंग जमा जब सोनीपत की दहिया खाप के मर्द व लुगाइयां ट्रालियों में भरकर यहां पहुंचे। खास बात यह है कि खाप के मर्द केसरी रंग की पगड़ी व औरतें दामण पहनकर नारेबाजी करते हुए कुंडली बार्डर पर पहुंचे।
3 कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर 2 सप्ताह से कुंडली बार्डर पर जमे किसानों की मदद के लिए रोजाना किसान पंजाब तक आवागमन कर रहे हैं। ख़ास बात यह है कि किसानों की सुविधा के लिए पंजाब से लगातार रजाई, गद्दे, वाटरप्रूफ टैंट व सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े यहां पर पहुंचाए जा रहे हैं। साथ ही, हरियाणा भी किसानों की अच्छी खातिरदारी कर रहा है। हरियाणा के अलग-अलग गांवों से लोग खाने-पीने का सामान लेकर पहुंच रहे हैं।
बार्डर पर किसानों के समर्थन में आए हिसार के किसानों ने भावनात्मक पहलू भी पेश किया। कई किसानों ने हाथ जोड़कर सरकार से यह अपील की – ख्याल कर लो म्हारा, मान जाओ सरकार। साथ ही किसानों का कहना है कि किसानों को तंग करके सरकार पूरे देश को ही संकट में डाल रही है। सरकार को चाहिए कि शीघ्र किसानों की गुहार सुने और किसानों को न्याय दे।