एक तरफ अटकी है लोगो की जान ,तो दूसरी तरफ लटके हैं निगम के काम ,परेशानी में है लोग

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राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा औधोगिक नगरी एनआइटी का प्रवेश द्वार नीलम अजरौंदा पुल के जजर्र पिल्लर्स की मरम्मत का करए अब ता शुरू नहीं हुआ है। आग की वजह से यह पल 22 अक्टूबर को क्षतिग्रस्त हो गए थे , अब 54 दिन बाद भी काम शुरू ना होने दर्शाते है की नगर निगम के अधिकारी कितने लापरवाह होते जा रहे है। उनको शहर के लोगो की कितनी जयादा फ़िक्र है।

एक तरफ अटकी है लोगो की जान ,तो दूसरी तरफ लटके हैं निगम के काम ,परेशानी में है लोग

पिल्लर्स की मरम्मत न होने पर लोगो को आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब एक महीने तक निगम अधिकारी यह बहाने लगाते रहे कि मरम्मत के लिए ठेकेदार नहीं मिल रहे। इसे भी दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उजागर किया। फिर ठेकेदार मिले और टेंडर प्रक्रिया में भागीदारी की, तो 9 दिसंबर को मरम्मत के लिए वर्क आर्डर जारी हुए। तब बताया गया कि 13 दिसंबर रविवार को काम शुरू होगा और अब रविवार का दिन भी आ गया, पर काम शुरू नहीं हो पाया।अब बताया जा रहा है कि सोमवार को काम शुरू होगा। अभी एक साइड से हो रहा है आवागमन

इस पुल से भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है। इसलिए ऐसे वाहन अब बाटा रेलवे पुल के ऊपर से गुजरने पर मजबूर हैं। आग लगने के बाद पुल से दोनों तरफ का अवागमन बंद कर दिया गया था। नीलम से अजरौंदा, राष्ट्रीय राजमार्ग जाने वाले पुल के पिलर्स की हालत अधिक खराब थी। ऐसे ही अजरौंदा से नीलम चौक की तरफ आने वाले पिलर्स कम क्षतिग्रस्त हुए थे।

एक तरफ अटकी है लोगो की जान ,तो दूसरी तरफ लटके हैं निगम के काम ,परेशानी में है लोग

कई दिनों बाद निगम ने लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार से पिलर्स की छोटी-मोटी मरम्मत करके इस रास्ते को आवागमन के लिए 2 नवंबर शाम को खोल दिया गया था। भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी, जो अभी तक बरकरार है। यह बेहद शर्मिंदगी की बात है कि 50 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद मरम्मत का काम भी शुरू नहीं हो पा रही। नगर निगम के अधिकारियों का रवैया तो सभी को पता है, उनकी कोई जवाबदेही ही नहीं है, पर हैरानी की बात है कि जनप्रतिनिधि भी कुछ नहीं कर रहे।