फरीदाबाद के विख्यात सूरजकुंड मेले के आयोजन पर संशय की तलवार लटकी हुई थी। पर्यटन विभाग की तरफ से भी इस पूरे मामले को लेकर किसी ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की। आपको बता दें कि पर्यटन विभाग ने सूरजकुंड आयोजन को लेकर चुप्पी साध रखी थी।
महामारी के इस दौर में किसी भी नेता या राजनेता के महकमे से भी आयोजन को लेकर कोई फरमान सामने नहीं आया था। जहाँ हर बार मेले के आयोजन की तैयारी अगस्त माह से शुरू हो जाती थी वहीं इस बार किसी भी रूप से मेले के आयोजन को बल नहीं मिल पाया है। कुछ दिन पूर्व क्षेत्र के टूरिज्म कमिश्नर ने बताया था कि इस बार मेले के आयोजन को लेकर किसी भी तरीके की बैठक नहीं हो पाई।
इसी के चलते न मेले का थीम बन पाया नाही किसी ने मेले की तैयारियों को लेकर की जाने वाली तैयारियों को तूल दिया है। आपको बता दें कि सूरजकुंड को फरीदाबाद की शान कहा जाता है। मेले में देश विदेश से आए बहुत सारे अभिभावक हिस्सा लेते हैं जिसके चलते पर्यटन विभाग को काफी मुनाफ़ा होता है। इस बार मेले के आयोजन पर बिमारी की गाज गिर गई है।
आपको बता दें कि हर बार जहां मेले का खेमा फरवरी माह में ही गाढ़ दिया जाता था पर इस बार किसी भी तरीके की चहल पहल नहीं देखि जा सकती। 1 से 15 फरवरी तक आयोजित होने वाले मेले पर बिमारी ने धारदार वार किया है।
आपको बता दें कि इस बार मेले के आयोजन की संभावना अप्रैल में होने की संभावना जताई जा रही है। सूरजकुंड मेला 15 लाख अभिभावकों की सूची में सर्वप्रथम रहता है। ज्यादा तादाद में पर्यटकों के आने से यह संभावना बनी रहती है कि मेले से पर्यटन विभाग को आर्थिक रूप से मुनाफ़ा होगा।
इस बार महामारी के चलते सूरजकुंड मेले के आयोजन को लंबित कर दिया है ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे आर्थिक रूप से बहुत बड़ा घाटा हो सकता है। बिमारी के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने किसी भी सार्वजनिक रूप से होने वाले कार्यक्रम पर विराम लगा दिया है।
ऐसे में सूरजकुंड मेले के आयोजन पर भी फिलहाल विराम लगा दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस बार मेले के अप्रैल माह में होने की तैयारी की जा रही है।