फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने के अनेकों दावे नगर निगम और प्रशासन द्वारा किए गए। यह दावे अभी तक झूठे वादे ही प्रतीत हो रहे हैं क्योंकि स्मार्टनेस में काफी कमियां है। टेक्नोलॉजी और आधुनिकता के दम पर फरीदाबाद को भले ही स्मार्ट सिटी होने का टैग प्राप्त हो जाए परंतु प्राकृतिक सुंदरता फरीदाबाद से कोसों दूर हो गई है। स्मार्ट सिटी कहलाए जाने वाला फरीदाबाद शहर प्राकृतिक सुंदरता से वंचित होता जा रहा है।
पहचान फरीदाबाद की रिपोर्ट के मुताबिक एक समय था जब हरियाणा के फरीदाबाद जिले में करीब 77 नदियां हुआ करती थी जहां लोग अपने मनोरंजन के लिए तो आते ही थे। साथ ही फरीदाबाद में टूरिज्म काफी हद तक फैला हुआ था। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण जो पहले हुड्डा सरकार के अंडर आता था। इस स्कीम के तहत काफी सेक्टरों और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स ने फरीदाबाद की प्राकृतिक सुंदरता को उजाड़ कर रख दिया। कहीं पर स्कूल, पार्क, पानी पंपिंग स्टेशन और पब्लिक रोड तो कहीं पर बड़े-बड़े मंदिर और गुरुद्वारे खड़े कर दिए गए।
बता दें कि हरियाणा सरकार ने इस बात की रिपोर्ट दिल्ली के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी तक पहुंचाई है। जहां पर फरीदाबाद की सभी जलाशयों और वॉटर बॉडीज को एक बार पानी से भरने और उनके सौंदर्य करण के लिए अपील की गई है। बता दें एनजीटी ने अपने अधिकारियों को भेजकर सूखे पड़े हुए तालाबों और जलाशयों की जांच करवाई जिससे पता लगा है कि पूरे फरीदाबाद जिले में 11 ड्राई पॉन्ड है।
इतना ही नहीं सन 1995 में मुख्यमंत्री भजनलाल कि सरकार में तीन जलाशयों को मुसलमानों के कब्रिस्तान में कन्वर्ट कर दिया गया था। हरियाणा पॉन्ड एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एचपीडब्ल्यूडब्ल्यूएमए) को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निर्देश देते हुए कहा है कि जल्द से जल्द फरीदाबाद के सूखे पड़े जलाशयों को पानी से भरा जाए और सौंदर्य करण और मरम्मत का काम तेज किया जाए।