इंटरनेट से तरकीब लेकर, गेहूं छोड़ मोती की खेती करने लगा यह किसान, चौका देगी इनकी दास्तां

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तरफ जहां देशभर के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर दिसंबर की सर्द रातें काटने को मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर किसानों की एकता, दृढ़ विश्वास, जज्बे और संकल्प की सराहना दुनियाभर में हो रही है। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा पारित कृषि अध्यादेश किसानों के हित में नहीं बल्कि पूंजीपतियों अंबानी और अडानी की जेब भरने वाले हैं। इसी को लेकर किसान निरंतर सरकार पर बिल वापसी के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

इंटरनेट से तरकीब लेकर, गेहूं छोड़ मोती की खेती करने लगा यह किसान, चौका देगी इनकी दास्तां

वहीं हरियाणा के जींद जिले का किसान अनुबंध खेती कर दुनिया भर के अनेकों किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहा है। पोली गांव निवासी इस किसान का नाम शमशेर मलिक है। शमशेर ने कंपनी से अनुबंध पर मोती की खेती करके अपनी आमदनी एक ही हफ्ते में दुगनी कर ली है। शमशेर का कहना है कि मोती की खेती से हर महीने करीब ₹50000 उनकी आय बढ़ गई है।

इंटरनेट से तरकीब लेकर, गेहूं छोड़ मोती की खेती करने लगा यह किसान, चौका देगी इनकी दास्तां

पहचान फरीदाबाद की रिपोर्ट के मुताबिक शमशेर मलिक अपनी स्पेयर पार्ट्स की दुकान को छोड़कर अपना ज्यादातर समय इंटरनेट पर ज्ञानवर्धक वीडियोस देखने में गुजार देते थे। ऐसे में इंटरनेट से ही शमशेर को यह तरकीब मिल गई। शमशेर का कहना है कि दुकान के अलावा उनके पास कुछ जमीन भी है। शमशेर ने पावन धरती नामक कंपनी से अनुबंध करके 5.5 लाख अपनी जमीन पर खर्च किए।

इंटरनेट से तरकीब लेकर, गेहूं छोड़ मोती की खेती करने लगा यह किसान, चौका देगी इनकी दास्तां

अब कंपनी से अनुबंध के बाद करीब 12000 सीप डाली। जिसमें मोती तैयार हुए मोती तैयार होने में करीब 1 साल का समय लगा और कंपनी हर महीने ₹5000 उसे सी फार्म की रखवाली और बिजली बिल के लिए भी दे रही है। शमशेर का कहना है कि उसके पास अब 12000 सीप है और एक सीप की कीमत ₹160 है ऐसे में सभी सीटें कंपनी खरीद लेगी तो शमशेर की आए दुगनी हो जाएगी।