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IPS अंकिता शर्मा: छोटे गांव से निकलकर बनी अफसर, अब ड्यूटी के बाद पढ़ाती हैं ग़रीबो को

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आईएएस और आईपीएस लॉबी, आप खूब इसके बारे में जानते हैं। देश का हर दूसरा माता-पिता अपने बेटा या बेटी को आईएएस या फिर आईपीएस अफसर बनाना चाहता है, लेकिन हमारा परिवार इस स्थिति में नहीं हो पाता कि वह अपने बच्चों को सुरक्षित महफूज़ शिक्षा दे सके और साथ ही साथ उनकी अच्छे से परवरिश कर पाए। लेकिन छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव से निकली आईपीएस उन्होंने ना सिर्फ मेहनत कर अपना नाम बढ़ाया बल्कि अपने प्रदेश अपने जिले और अपने देश का भी नाम रोशन किया है।

और अब यही आईपीएस महिला प्रेरणा बनी हुई हैं। पहले तो अपनी ड्यूटी करती हैं और फिर युवाओं को पढ़ाने का भी काम करती हैं। जो ग़रीब परिवारों के बच्चे होते हैं उनके अंदर लगन तो बहुत होती है। जिज्ञासा बहुत होती है।

IPS अंकिता शर्मा: छोटे गांव से निकलकर बनी अफसर, अब ड्यूटी के बाद पढ़ाती हैं ग़रीबो को

पढ़ने के लिए आतुर होते हैं, लेकिन महंगे-महंगे संस्थानों में कोचिंग ना करने की वजह से वह पीछे रह जाते हैं। कॉम्पटीशन के चलते आगे नहीं आ पाते हैं। लेकिन ऐसे ही युवाओं के लिए हौसला बनने के लिए, ऐसे ही युवाओं का हौसला बढ़ाने के लिए, ऐसे ही युवाओं के लिए सपना बनने के लिए, ऐसे ही युवाओं के लिए सपनों की उड़ान को महफूज तरीके से खुले आसमान में उड़ाने के लिए, महिला आईपीएस तैयार हैं।

और जिस महिला आईपीएस का हम जिक्र कर रहे हैं दरअसल उनका नाम अंकिता शर्मा है। जिन्होंने अपनी मेहनत के बलबूते एक मुकाम हासिल किया और अब उसी मेहनत को सामने रखते हुए और भी लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। गरीब परिवारों की परिस्थितियों को समझते हुए देश के भविष्य युवाओं को आगे बढ़ाने की प्रेरणा तो देती ही हैं। साथ ही साथ उन्हें एजुकेट भी करती हैं अगर हमारे देश का हर एक आला अधिकारी, अगर हमारे देश का हर एक अफसर इसी तरह की सोच रखेगा तो यकीन मानिए वो दिन दूर नहीं जब गरीब का बच्चा अपने आपको कमज़ोर महसूस नहीं करेगा।

IPS अंकिता शर्मा: छोटे गांव से निकलकर बनी अफसर, अब ड्यूटी के बाद पढ़ाती हैं ग़रीबो को

कभी भी हतोत्साहित भी महसूस नहीं करेगा। कि अगर उसे उचित और खर्चीली संस्थान नहीं मिले तो उसका सपना पूरा नहीं होगा ऐसी सोच भी उसके मन में नहीं आएगी। हमें अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपने परिवार की ज़िम्मेदारी निभाते हुए, अपने समाज और अपने देश के लिए भी कर्तव्य परायण बनने की जरूरत है। तभी जाकर हम और हमारा देश विकासशील से विकसित होगा।

मौजूदा दौर में आज के दिन में लगातार अंकिता शर्मा सुर्खियां बटोर रही हैं। कहां से छत्तीसगढ़ में वह रही हैं, कैसे वह आईपीएस बनी इसके बारे में कुछ कहानी हम आपको बताते हैं। 203वीं रैंक हासिल कर उन्होंने अपने परिवार और ज़िले का नाम रौशन किया। अंकिता शर्मा रायपुर में लगातार हो रहे क्राइम को कंट्रोल करने के लिए भी जानी जाती हैं। उनके पति विवेकानंद शुक्ला आर्मी में मेजर है और वर्तमान में मुंबई में तैनात हैं। अंकिता जिन युवाओं को पढ़ा रही हैं, उनमें से ज्यादातर बच्चे महंगे कोचिंग संस्थानों की फ़ीस देने में सक्षम नहीं हैं। बता दें, अंकिता खुद छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक छोटे से गांव से हैं। अपने इलाके के सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की और खुद को प्रशासनिक सेवाओं के लिए तैयार किया।

2018 में वो अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास करने में सफ़ल रहीं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आजाद चौक इलाके में नगर पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात IPS अंकिता शर्मा चर्चा में हैं। दरअसल, वो उन युवाओं की मदद के लिए सामने आई हैं, जो उनकी तरह अफसर बनने का सपना देख रहे हैं मगर कोचिंग की फीस देने में सक्षम नहीं हैं. इसके लिए वो रविवार के दिन UPSC की तैयारी कर रहे बच्चों को पढ़ाती हैं।

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