दिसंबर के महीने में ठंड अपने चरम पर है। पहाड़ी इलाकों में लगातार बर्फ़बारी होने की वजह से दिल्ली-एनसीआर में लोगों को कपकपाती ठंड महसूस करने को मिल रही है। रात ही नहीं दिन में भी शीतलहर के चलते लोगों को ठंडी हवा के थपेड़े पड़ते हैं। ऐसे समय में फुटपाथ पर रात बिताना जोखिम भरा काम है। हैरत की बात तो यह है कि शहर भर में प्रशासन द्वारा बनाये गए रैनबसेरों की सुविधा के बावजूद भी लोगों को रात में सोने की जगह नहीं मिल रही।
शायद यही वजह है कि ठंड का कहर झेलते हुए लोगों को सडकों और फुटपाथों पर सोना पड़ रहा है। नीलम चौक और राष्ट्रीय राजमार्ग ओल्ड फरीदाबाद चौक तथा बल्लभगढ़ के अलावा अन्य क्षेत्रों में रात गुजारने की ऐसी ही व्यवस्था है। हैरानी की बात है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर रातभर ठंड में ठिठुरते हैं लोग और साथ ही भारी वाहनों का आना-जाना लगा रहता है।
बड़ी संख्या में इन सड़कों पर सो रहे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पहले दिन भर पेट भरने के लिए दो पैसे कमाने के लिए मशक्कत और फिर रात में चैन की नींद भी नसीब नहीं होती। ऐसे में लोगों को ठंड के प्रकोप के साथ अन्य परेशानियां झेलनी पड़ती है। पहचान फरीदाबाद की टीम ने शुक्रवार को शहर का जायजा लिया और देखा कि लोग कैसे कपकपा रहे हैं।
फुटपाथ पर जैसे तैसे रात काट रहे लोगों के पास गुजारा करने के लिए कम्बल तो है पर मौसम की करवट को झेलने ले लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसी मजबूर हालातों में परेशानी से जूझ रहे लोगों की तरफ न सरकार का ध्यान जाता है और न ही सामाजिक संगठनों का। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार अपनी तरफ से लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए और पुख्ता प्रबंध करने में जुटी हुई है और रैनबसेरों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार विमर्श चल रहा है।