जब देश भारत में अंग्रेजों का शासन चल रहा था उस वक्त भी एक ऐसी जगह मौजूद थी जो देश भारत का ही एक ऐसा हिस्सा रही है जिस पर अंग्रेजों का भी अधिपत्य नहीं रहा। जिस पर अंग्रेजों ने नज़र तो लगाई लेकिन उनकी नजर वहां पर टिकी नहीं रुकी नहीं।
आज आपको जिस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं उस जगह को सुनकर और देखकर अंग्रेज भी सहम गए थे, और यही कारण रहा था कि ब्रिटिश शासन काल में भी इस जगह पर अंग्रेजों की हुकूमत नहीं हो पाई थी।
हाल ही में साल 2018 में यहां एक अमेरिकी मिशनरी जॉन ऐलन चाउ को यहां के आदिवासियों ने मार डाला था। दरअसल देश भारत का अंडमान निकोबार द्वीप का यह हिस्सा जो कई रहस्यों से पटा पड़ा है। कई रहस्य आज भी इसमें मौजूद हैं। इसकी जमीन में दफन है। उन रहस्यों का पर्दा आज तक नहीं उठा है, लेकिन उन्हीं रहस्य में से एक कहानी हम आपके सामने लेकर आए हैं और उस कहानी को हम आपको आदिवासियों से जोड़ कर बताएंगे।
वहां आदिवासी जिस स्थिति में रहते थे, उन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता था।इसलिए क्योंकि जब हम डरते हैं तो हमारे मन में खौफ पैदा होता है और कहीं ना कहीं मन बैठ जाता है कि कहीं हमारे ऊपर कोई आघात ना पहुंचा दें। हमारी कोई हानि न कर दे। उसी का नतीजा ये निकला कि जब अंग्रेजों ने पूरे देश पर अपना आधिपत्य जमाया उस वक्त भी यह जगह अंग्रेजों के हाथ से अछूती रही। आपको बता दे कि अमेरिकी मिशनरी की मौत की घटना ने एक बार फिर लोगों का ध्यान वहां के खौफनाक परिदृश्य की तरफ खींचा।
जॉन ऐलन चाउ 17 नवंबर साल 2018 की रात गायब हो गए थे. इसके बाद अमेरिकी मिशनरी जॉन का शव लाने पुलिस गई थी, लेकिन आदिवासियों के बीच का खौफनाक मंजर देखकर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था। दरअसल, जब पुलिस वहां गई तब तब आदिवासियों के हाथ में तीर-धनुष देखकर डर गई थी। दूरबीन से देखने पर पता चला कि वहां के आदिवासी तीर-कमान लेकर काफी गुस्से में थे।