नौ महीने तक नहीं हटाया मास्क, अब बीमारियों से है ऐसा वास्ता…

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आपदिक महामारी में 22 मार्च से लागू  हुए लॉकडाउन का असर जिले के दवा कारोबार पर पड़ा है। दरअसल लोगों ने मास्क लगाकर और सामाजिक दूरी के नियम को अपनाकर ही आधी से ज्यादा आम बीमारियों को दूर भगा दिया। कोरोना का खौफ लोगों पर इस कदर हावी रहा कि उन्होंने आयुर्वेद और घरेलू नुस्खे से एंटीबॉडी विकसित कर ली और बीमारियों को दूर भगा दिया।

यही कारण रहा कि जिले में दवाओं की मांग 50 फीसदी से भी कमी आ गई। दवा उद्योगों में उत्पादन क्षमता भी आधी रह गई है। रोजाना करीब दो करोड़ का होने वाला दवाइयों का कारोबार इस 9 माह के दौरान एक करोड़ रुपये प्रतिदिन रह गया है। जिले में दवा की छोटी-बड़ी 1300 दुकानें हैं। पिछले साल फरवरी तक हर दिन 2 करोड़ 60 लाख रुपये का कारोबार होता था।

नौ महीने तक नहीं हटाया मास्क, अब बीमारियों से है ऐसा वास्ता...

हर महीने में लगभग 78 करोड़ रुपये का कारोबार था। वहीं इस वर्ष नवंबर में 35 करोड़ रुपये तक रह गया। मई में बिक्री कुछ बढ़ी तो आंकड़ा आधे के आसपास ही पहुंचा है। एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में 50 फीसदी की कमी आई। जिला फरीदाबाद दवा विक्रेता संघ के जनरल सेक्रेटरी चंद्र प्रकाश बाटला के मुताबिक दो महीने में दवा कारोबार में काफी कमी आई है।

नौ महीने तक नहीं हटाया मास्क, अब बीमारियों से है ऐसा वास्ता...

जिन दवाओं का मरीजों को नियमित सेवन करना होता है उन दवाओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की दवाओं की बिक्री कम हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रदूषण का स्तर बढ़ा जरूर है मगर पिछले साल से कम है।

जानिए किन दवाइयों की कम हुई बिक्री
अमॉक्सीक्लेब
अमोक्सीफिलिंग
क्रोसिन
अमोक्सी-क्लॉक्सी
सिप्रोफ्लॉक्सासिन-एन
सीएक्सनी

निजी अस्पतालों की ओपीडी में कोरोना के डर से लोगों के कम पहुंचने के कारण दवाइयों की बिक्री कम हुई। मास्क लगा कर रहने से आम बीमारियों की चपेट से भी बचे रहे लोग। लॉकडाउन में बड़े अस्पतालों में टालने लायक ऑपरेशन टाले गए।

नौ महीने तक नहीं हटाया मास्क, अब बीमारियों से है ऐसा वास्ता...

ज्यादातर डेंटल क्लीनिक आज भी बन्द हैं। लॉकडाउन में कम वाहनों के चलने से दुर्घटनाओं में भी कमी आई है। डीन, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवंडॉ अस्पताल से असीम दास का कहना है कि, लंबे समय से ऑपरेशन बंद हैं। प्रदूषण और कोरोना के डर से लोग घरों से बाहर कम निकल रहे हैं। इसलिए लोग कम बीमार पड़ रहे हैं। किसी को अगर वायरल इंफेक्शन होता है तो उसे एंटी वायरल, एंटीस्टॉमिक दवाइयां दी जाती हैं, जो कोविड से अलग होती है।

नौ महीने तक नहीं हटाया मास्क, अब बीमारियों से है ऐसा वास्ता...

इसलिए एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में कमी आई है। चेयरमैन, साइकोट्रॉपिक्स इंडिया लिमिटेड,नवदीप चावला का कहना है कि इस महामारी में फरीदाबाद में दवाओं की ग्रोथ में तीन से चार फीसदी की कमी आई है। प्रदूषण और ठंड के मौसम में एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री हर साल बढ़ जाती है। मास्क लगाने व घर से बाहर कम निकलने के कारण इस बार लोग कम बीमार पड़े हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं की उत्पादन क्षमता 50 फीसदी रह गई है। संचालक, ओम मेडिकल स्टोर, ओल्ड फरीदाबाद,बिशन नागपाल का कहना है कि आयुर्वेदिक और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयों की मांग ज्यादा है। खांसी, जुखाम, बुखार संबंधी रोगों में काम आने वाली दवाइयों की बिक्री पिछले साल के मुकाबले आधी रह गई है।

यह स्थिति अभी भी बरकरार है। अध्यक्ष, जिला फरीदाबाद दवा विक्रेता संघ,श्रीचंद मंगला ने कहा कि इस महामारी के कारण दवा कारोबार में कई बदलाव आए हैं। दवाइयों की बिक्री में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई। पिछले साल तक जहां प्रति दिन दो से तीन करोड़ रुपये का कारोबार हो जाता था। वह अब करीब एक करोड़ तक सीमित रह गया है।

Written by: Kajal Singh