नगर निगम के महकमे से आए दिन लापरवाही की ख़बरें सामने आती रहती हैं। अब आलम यह है कि निगम प्रणाली में मौजूद आला कमान अफसर एक दुसरे के दुश्मन बन बैठे हैं। सिंडिकेट बैंक शाखा को लेकर निगम आयुक्त और संयुक्त आयुक्त एक दुसरे की मुखालफत कर रहे हैं।
एक करोड़ रुपये का गृहकर बकाया होने के बाद भी बैंक के दोबारा खुलने पर संयुक्त आयुक्त ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बैंक के खोले जाने को लेकर निगमायुक्त द्वारा एक पत्र भेजा गया था जिस पर संयुक्त आयुक्त ने हस्ताक्षर करने से साफ़ इंकार कर दिया था।
बावजूद इसके निगमायुक्त ने बैंक को डी सील करने का फरमान भेज दिया। आपको बता दें कि संयुक्त आयुक्त के निर्देश पर बीते दिनों निगम द्वारा बैंक को सील कर दिया गया था। इसके बाद बैंक की तरफ से निगमायुक्त डॉ. यश गर्ग से बैंक को पुनः शुरू करने को लेकर बैंक अधिकारियों ने मुलाकात की थी।
आरोप है कि निगमायुक्त ने बगैर संयुक्त आयुक्त के आपत्ति पत्र के बैंक को शुरू करने को लेकर निर्देश दे दिए। संयुक्त आयुक्त प्रशांत अटकान का आरोप है कि बैंक ने निगम परिसर में बड़ी जगह को घेर रखा है। संयुक्त आयुक्त द्वारा वैकल्पिक तौर पर नगर निगम की जमीन को किराए पर देने की बात की।
उन्होंने कहा कि इससे नगर निगम को ही हर महीने मुनाफ़ा होगा और नगर निगम की आय में वृद्धि होगी। बैंक द्वारा किसी भी प्रकार की रकम अदा नहीं की जा रही और बिना कोई भुगतान किए बैंक ब्रांच अपने काम का संचालन कर रहा है।
संयुक्त आयुक्त प्रशांत अटकन द्वारा इस पूरे मामले को लेकर आरबीआई को पत्र भेजा जा चुका है। ऐसे में निगमायुक्त और संयुक्त आयुक्त के बीच गहमा गहमी चल रही है। नगर निगम घोटालों का गढ़ बनता जा रहा है और आए दिन उससे जुडी नई नई ख़बरें सामने आती रहती हैं।
ऐसे में संयुक्त आयुक्त और निगम आयुक्त के बीच चल रही तकरार धीरे धीरे तूल पकड़ रही है। ऐसे में देखना लाजमी होगा कि अब निगम प्रणाली द्वारा इस पूरे मामके को लेकर कैसा रुख अपनाया जाता है।