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चार बार हसीनाओं के प्यार में पड़ चुके हैं रतन टाटा फिर भी नहीं की शादी, कारण जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

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रतन टाटा एक ऐसा नाम है जिसे शायद ही कोई हो जो न जानता हो। गांव और शहरों में तंज करते हुए लोग तानों में भी टाटा का इस्तेमाल करते हैं। मसलन किसी के बहुत अमीरी दिखाने पर लोग कहते हैं कि ” बहुत बड़े टाटा बन रहे हो” आपको जानकर हैरानी होगी कि रतन टाटा का टाटा परिवार से ख़ून का रिश्ता नहीं है बल्कि वो गोद लिए हुए पुत्र हैं।

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को भारत के सूरत शहर में पिता नवल (रतनजी टाटा द्वारा गोद लिया हुआ बेटा) और माता सोनू के घर हुआ था. इनका धर्म पारसी हैं। टाटा ग्रुप के अंडर 100 कंपनी आती है. टाटा की चाय से लेकर 5 स्टार होटल तक, सूई से लेकर स्टील तक, लखटकिया नैनों कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलता हैं।

चार बार हसीनाओं के प्यार में पड़ चुके हैं रतन टाटा फिर भी नहीं की शादी, कारण जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

जब रतन टाटा 10 साल के थे तो इनके माता-पिता अलग हो गए थे. तब जमशेदजी के बेटे रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई (रतन टाटा की दादी) ने इन्हें गोद ले लिया था और पालन-पोषण किया। रतन टाटा को चार बार प्यार हुआ लेकिन शादी नहीं हुई. एक बार तो उनकी शादी बस होने ही वाली थी. दरअसल, रतन टाटा को अमेरिका में पढ़ाई के दौरान एक लड़की से प्यार हो गया दोनों शादी के लिए तैयार भी हो गए।

चार बार हसीनाओं के प्यार में पड़ चुके हैं रतन टाटा फिर भी नहीं की शादी, कारण जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

रतन की दादी की तबीयत खराब होने की वजह से रतन तो भारत आ गए लेकिन भारत-चीन युद्ध से उनकी प्रेमिका बहुत डर गई और भारत नहीं आई और कुछ दिनों बाद उनकी प्रेमिका ने अमेरिका में ही किसी और से शादी कर ली। टाटा कंपनी के फाउंडर जमशेदजी टाटा को छोड़कर पहले 5 चेयरमैन में से किसी का कोई वारिस नहीं था मतलब इनकी कोई औलाद ही नहीं थी. चलिए आपको डिटेल में समझाते है।

चार बार हसीनाओं के प्यार में पड़ चुके हैं रतन टाटा फिर भी नहीं की शादी, कारण जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

1887 में टाटा की स्थापना करने वाले जमशेदजी खुद चेयरमैन बने। 1904 में इनकी मौत हो गई और जमशेदजी के बेटे सर दोराबजी टाटा चेयरमैन बने। 1932 में इनकी भी मौत हो गई। अब टाटा की कमान दी गई दोराबजी की बड़ी बहन के बेटे नौरोजी सकलतवाला को।

चार बार हसीनाओं के प्यार में पड़ चुके हैं रतन टाटा फिर भी नहीं की शादी, कारण जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

1938 में इनकी भी मौत हो गई अब टाटा की कमान दी गई जमशेदजी के चचेरे भाई के बेटे जे.आर.डी. टाटा को। 1991 में ये रिटायर हो गए। अब कमान दी गई जमशेदजी के बेटे और रतनजी टाटा द्वारा गोद लिए हुए नवल टाटा के पुत्र रतन टाटा को। यहाँ आपको बता दें कि रतनजी टाटा और रतन टाटा दो अलग-अलग इंसान है।

चार बार हसीनाओं के प्यार में पड़ चुके हैं रतन टाटा फिर भी नहीं की शादी, कारण जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

2012 में रतन टाटा रिटायर हुए। अब कमान दी गई रतन टाटा के सौतेले भाई के सगे साले साइरस मिस्त्री को। 2016 में मिस्त्री को कंपनी से निकाल दिया गया। अब कमान दी गई है नटराजन चंद्रशेखर को. ये था टाटा चेयरमैन फैमिली ट्री। हो सकता है आपको एक बार पढ़ने से समझ न आया हो कोई बात नहीं धीरे-धीरे 2-3 बार पढ़ने से समझ आ जाएगा।

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