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वर्ष 2020 : फरीदाबाद की राजनीति ने पकड़ा जोर , कोई खेला भरपूर तो कोई दिखा कमजोर

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फ़रीदाबाद : साल 2020 बहुत कुछ खास लेकर और देकर गया , इस साल में राजनैतिक उठापटक ने फरीदाबाद के साथ-साथ हरियाणा की राजनीति को अलग आईना दिखाया है साल की शुरुआत में भाजपा राजनीति के मैदान में अच्छे स्कोर से खेल रही थी वही कांग्रेस पार्टी गेम में टिके रहने के लिए जद्दोजहद कर रही थी ।

कहा जाता है कि राजनीति हो या क्रिकेट मैच गेम कभी भी पलट सकता है कभी-कभी ज्यादा उत्साहित होना भी हानिकारक साबित हो जाता है । वर्ष 2020 के शुरुआती 3 महीने में नागरिकता संशोधन कानून ने खूब जोर पकड़ा ।

वर्ष 2020 : फरीदाबाद की राजनीति ने पकड़ा जोर , कोई खेला भरपूर तो कोई दिखा कमजोर

इस कानून के समर्थन में आयोजित कार्यक्रमो में बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच लेकर पहुंच गए वही संगठन के अभाव में बिखरीं- बिखरीं कांग्रेस अपने नए प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के नेतृत्व में एकजुट होती नजर आई।

हालांकि कॉंग्रेस के लिये यह मौजूदा सरकार ने थाली में परोस कर दे दिया तो कॉंग्रेस भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कांग्रेस पार्टी जनता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगी ।

हांलाकि तब तक कांग्रेस पार्टी अपना कार्यकारणी नही बना पाई थी और बिना क्षेत्रीय नेतृत्व के ही सब चल रहा था वही भाजपा में भी उठा पटक लगातार जारी रही पार्टी के नए प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ बने और फरीदाबाद की कमान एक फिर से गोपाल शर्मा के हाथों में सौंप दी ।

वर्ष 2020 : फरीदाबाद की राजनीति ने पकड़ा जोर , कोई खेला भरपूर तो कोई दिखा कमजोर

इस साल शहर में क्या कुछ हुआ घटित


देश में फैली महामारी के कारण फरीदाबाद भी अछूता नही रहा , एक तरफ तो लोग बीमारी से लड़ रहे है वही एक दूसरी तरफ इस महामारी में भूख लोगो को सता रही थी , 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद अपने जिले में लॉक डाउन के बाद सभी उद्योग कारोबार ठप हो गये और लोग बेरोजगारी झलने लगे ।

वर्ष 2020 : फरीदाबाद की राजनीति ने पकड़ा जोर , कोई खेला भरपूर तो कोई दिखा कमजोर

इस समय पर भाजपा नेताओं के हाथ मदद के लिए सामने आए जिन्होंने उन भूखे लोगो का पेट भरा तो सभी को लगा कि उनको पुण्य प्राप्त हुआ है वही लोगो ने दुआ की पोटली उनके नाम कर दी ।

कोंग्रेसियो ने दिखाई अपनी एकजुटता

कॉंग्रेस जिले में संगठनात्मक तौर पर कमजोर रही थी इसका परिणाम इनको विगत में हुए लोकसभा और विधानसभा में भुगतना पड़ा फरीदाबाद में विधानसभा चुनाव में एक ही सीट मिल पाई , कार्यकर्ताओ की कमी इसका मुख्य कारण हो सकती है ।

वर्ष 2020 : फरीदाबाद की राजनीति ने पकड़ा जोर , कोई खेला भरपूर तो कोई दिखा कमजोर

इसके बाद कॉंग्रेस के जिलाध्यक्ष की कमान सैलजा कुमारी के हाथों में आई तो कॉंग्रेस एकसाथ आकर खड़ी हो गई । अब नए साल में नई कार्यकारिणी गठित होने की उम्मीद नजर आ रही है साथ ही कॉंग्रेस को डॉ राधा नरूला के निधन से बड़ा झटका लगा क्योंकि राधा नरूला हमेशा से कांग्रेस में अहम मुकाम रखती थी ।

गोपाल शर्मा को एक बार फिर मिली कमान

सत्ता के ताज पर आसीन भाजपा ने जिले की कमान एक बार फिर गोपाल शर्मा के कन्धो पर रखी गई , गोपाल शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी ने दो बार प्रखर रूप से अपनी भूमिका दर्ज कराई ।

वर्ष 2020 : फरीदाबाद की राजनीति ने पकड़ा जोर , कोई खेला भरपूर तो कोई दिखा कमजोर

जजपा पार्टी ने पूर्व अध्यक्ष राजा राम से कमान लेकर उन्हें अच्छे सच्चे बनाया वही जिला शहरी अध्यक्ष अरविंद भारद्वाज व जिला ग्रामीण अध्यक्ष तेजपाल डागर को जिम्मेदारी दी गई

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