इन दोनों के शौक ने किया सबको शॉक,डॉक्टर व इंजीनियर कर रहे हैं खेती

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आजकल जहाँ डॉक्टर व इंजीनियर बनने के लिए माँ बाप अपने बच्चों पर प्रेशर करते हैं जिसके दबाव में बच्चे अपने शौक को भूल के उनके सपने पुरे करने में लग जाते हैं। ऐसे में एक पिता और बेटे ने अपने खेती के शौक के लिए डॉक्टर व इंजीनियर की नौकरी छोड़ खेती को अपनाया।

जेएनएन, यमुनानगर के निवासी डॉक्टर कृष्ण गर्ग और उनके इंजीनियर बेटे बृजेश कुमार ने कुछ अलग करने की ठानी तो उन्होंने पारम्परिक को छोड़ फूलो की खेती करना शुरू कर दी।कृष्ण गर्ग वैसे तो बीएएमएस डाक्टर है पर उनकी और बेटे की रूचि खेती में थी तो उन्होंने प्रैक्टिस छोड़ के खेती करना शुरू कर दिया। पिता और पुत्र 4 वर्ष से खेती कर के क्लाफी मुनाफा कमा रहे हैं।

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डॉक्टर गर्ग पहले धान ,गन्ना व गेहूं की खेती करते थे पर 2016 में उन्हें ख्याल आया की उन्हें कुछ नया करना हैं तो उन्होंने 3 एकड़ में पॉली हाउस बनवाया।जहाँ इन्होंने खीरे की खेती शुरू करि और इससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ। इसके बाद ही उन्हें फूलों की खेतीं करने की योजना बनाई। डॉक्टर गर्ग का कहना हैं अगर किसानो को मुनाफा कमाना हैं या अपनी आर्थिक स्तिथि में सुधार करना हैं तो पारम्परिक को छोड़ फूलों की खेती तरफ ध्यान देना होगा। इनका मन्ना हैं की इससे वो अपनी स्तिथि क साथ साथ दुसरो को भी रोजगार दे सकते हैं।

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डॉक्टर गर्ग ने बताया की अब उन्होंने 3 एकड़ में गुलाब व जरबेरा की फसल उगाई हैं, ख़ास बात यह हैं की फसलों को एक बार लगाने के बाद पाँच वर्ष तक आमदनी होती हैं। खेत की जुताई व फसल तैयार करने का खर्च भी कम हो जाता हैं। जिसके चलते 12 माह फूल आते हैं। डॉक्टर गर्ग बेंगलुरु से फूलो की पौध लेकर आते हैं। एक -एक एकड़ में करीब पांच लाख की लगत आती हैं और जुलाई माह में यह पौध रोपी जाती हैं।4 साल तक फसल ली जाती हैं इससे 20 -25 लाख की आमदनी हो जाती हैं।सबसे अहम बात यह हैं की फूलो को बेचने में दिक्कत नहीं आती बल्कि सीजन में खरीददार फार्म पे ही पहुंच जाते हैं।

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डॉक्टर कृष्ण लाल गर्ग को फूलों की बेहतर पैदावार के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें फूल रत्न अवार्ड से सम्मानित भी किया हैं।