स्टोरी तो वाकई बहुत दिलचस्प है। डोसा आज्जी, जो अब महज ₹10 में जरूरतमंद गरीब असहाय लोगों को खाना खिलाती हैं। इडली, डोसा परोसती हैं। डोसा आज्जी ने अपने जीवन के उन हालातों को देखा, उन हालातों को समझा, जिन हालातों को देखने और समझने के बाद अच्छे-अच्छे जिंदगी की जंग हार जाएं।
उन्होंने हौसला कभी नहीं छोड़ा, उम्मीद कभी नहीं टूटने दी अक्सर हम दूसरों के लिए कहते हैं, दूसरों के लिए बात करते हैं। कि कोई बात नहीं सब ठीक होगा। सब अच्छा होगा। फिक्र मत कीजिए। लेकिन जब खुद पर अमल करने की बात आती है, खुद पर लागू करने की बात आती है तो हम टूट जाते हैं।
निराश हो जाते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति के बावजूद भी डोसा आज्जी ना तो टूटी और ना ही निराश हुई, बल्कि दूसरों के लिए एक नजीर, एक उदाहरण बन गईं। जिनकी वजह से ना जाने कितने लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं। डोसा आज्जी की मेहनत के चलते हम भी इस स्टोरी से इस कहानी बहुत ज्यादा प्रभावित हुए और हमने यह निर्णय लिया कि यह कहानी आप तक भी पहुंचनी चाहिए।
क्या है डोसा आज्जी की पूरी कहानी हम आपको बताते हैं पढ़िए। आज्जी ने ऐसे दिन भी देखे जब वो और और उनका बेटा एक जून का खाना भी नहीं खा पाते थे. ऐसे में, उन्हें भूख का एहसास था. जब एक बार वो लोगों का पेट भरने लायक हो गयी, तो उन्होंने इस ओर काम शुरू कर दिया. उन्होंने स्कूल के बच्चों और मजदूरों के लिए यह स्टॉल खोला था। डोसा आज्जी के नाम से मशहूर 62 वर्षीय शारदा जी महज 10 रुपये में डोसा और इडली बेचती हैं। उन्होंने साल 2004 में अपने परिवार के गुज़र-बसर के लिए ये स्टॉल खोला था।
उन्होंने अपना खाना बहुत कम कीमत पर बेचने का निर्णय लिया और उन्होंने इसकी शुरुआत उस समय महज 2 रुपये से की थी। शहर में महंगाई बढ़ी और लोगों ने अपने सामान के दाम बढ़ा दिए, मगर अज्जी ने डोसे की कीमत नहीं बढ़ाई. उन्होंने कुछ साल पहले दो डोसा और चार इडली को 10 रुपये में बेचना शुरू कर दिया। और इस तरह से दुनिया के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।