बीके अस्पताल के कर्मचारियों को लगी अनोखी बीमारी, क्या रजाई गद्दो में पड़े रह कर बना रहे दवाई ?

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फरीदाबाद : एक कहावत तो सुनी होगी जो लोग समय की इज्जत नहीं करते, समय उनकी इज्जत नहीं करता। समय के साथ चलने वाला व्यक्ति सफल होता है। क्योंकि वही व्यक्ति बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है।

यह कहावत बीके अस्पताल के कमरा नंबर 23 के अधिकारियों पर सटीक बैठती है। सोमवार को करीब 10 बजे पहचान फरीदाबाद की संवाददाता हेमलता किसी काम की वजह से बीके अस्पातल के कमरा नंबर 23 में गई थी।

बीके अस्पताल के कर्मचारियों को लगी अनोखी बीमारी, क्या रजाई गद्दो में पड़े रह कर बना रहे दवाई ?

आप लोग यह सोच रहे होंगें कि बीके अस्पताल का समय तो 9 बजे से 3 बजे का है। तो हम ऐसा क्यों कहे रहे है। क्योंकि सोमवार को कमरा नंबर 23 का निरिक्षण किया गया।

वैसे तो मैं विभाग द्वारा चलाई जा रही नई योजनाओं के बारे में जानने के लिया गई थी । लेकिन विभाग में पाया कि वहां पर कोई भी अधिकारी व कर्मचारी मौजूद नहीं था। ऐसा नहीं है कि कमरा नंबर 23 खुला नहीं हुआ। कमरा तो खुला हुआ था लेकिन व्यक्ति कोई मौजूद नहीं था।

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उसके बाद कमरां नबर 23 के बाहर बने आयुष्मान केंद्र पर तैनात आयुष मित्रता से इसके बारे में जानकारी प्राप्त की ।लेकिन उनका भी कहना था कि इस बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है।

तभी उक्त कमरे में मौजूद एक व्यक्ति से विभाग के बारे में जानने की कोशिश की। लेकिन उस व्यक्ति ने बताया कि वह भी करीब आधे घंटे से अधिकारियों का इंतेजार कर रहा है।

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सेक्टर 3 के रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी बेटी का एडमिशन सेक्टर 8 के पॉलिटेक्निक में करवाना चाहता है। इसी के चलते वह बेटी को मेडिकल बनवाने के लिए आए थे।

लेकिन 9 बजे का समय होने के बाद भी वहीं 9:30 बजे से कमरे में अधिकारियों का इंतेजार कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वह इधर उधर चक्कर लगाकर अधिकारी का इंतेजार कर रहे थे। अब मैं उक्त व्यक्ति से बात करने लगी तभी एक कर्मचारी जोकि बीके अस्पताल में सफाई का काम करता है वह आया। तब उस कर्मचारी ने पूछा कि क्या हुआ।

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मैनें उस कर्मचारी से पूछा कि अधिकारी अभी तक आए क्यों नहीं है। तो उसने बताया कि कई बार अधिकारी किसी काम की वजह से लेट हो जाते है।

आपको बता देते है कि यह बीके अस्पताल का कमरा नंबर 23 को डिस्ट्रिक्ट अरली इंटरवेशन सेंटर बनाया गया है जिसमें बच्चों के हेल्थ की ओवरऑल जांच की जाती है।

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इसके अलावा अगर स्कूली बच्चों में किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है तो उसका उपचार बीके अस्पताल में फ्री होता है। अगर इसी तरह अधिकरी समय पर नहीं आएंगें तो क्या बच्चों को उपचार मिल पाएगा।