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महामारी के चलते नौकरी चली गई, फीस न देने पर बच्चों को नहीं देने दिए पेपर

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साल 2020 में महामारी की वजह से शहर के कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। नौकरी जाने की वजह से उनके घर का गुजर बसर करना भी बहुत मुश्किल हो गया। उसके उपर से निजी स्कूलों के द्वारा ऑनलाइन क्लास की फीस मांगने को लेकर अभिभावकों पर दवाब डाला जा रहा है।

ट्यूशन फीस के नाम पर निजी स्कूलों द्वारा मनमानी करने को लेकर पिछले कुछ दिनों से सेक्टर 3 अग्रवाल पब्लिक स्कूल के बाहर कई अभिभावक धरना प्रर्दशन कर रहें है।

महामारी के चलते नौकरी चली गई, फीस न देने पर बच्चों को नहीं देने दिए पेपर

अभिभावक एसएस राठौर ने बताया कि उनका बच्च सेक्टर 3 अग्रवाल पब्लिक स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ता है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लाॅस होने की वजह से सरकार की ओर से आदेश आए थे कि स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेगा। लेकिन उक्त स्कूल के द्वारा ऑनलाइन क्लाॅस होने के बावजूद ट्यूशन फीस में अन्य फीस को छोड़ दिया। स्कूल के द्वारा उनसे 2500 रूपये हर महीने मांग रहे है। फीस नहीं भरने की वजह से उनके बच्चे के नवंबर के पेपर नहीं देने दिए। स्कूल वालों का कहना है कि जब तक फीस को जमा नहीं करोगे तब तक पेपर व ऑनलाइन क्लाॅस का लिंक नहीं भेजा जाएगा।

वहीं अजीत शर्मा ने बताया कि उनका बच्चा सेक्टर 3 स्थिति टगौर स्कूल की 10 वीं क्लाॅस में पड़ रह है । महामारी की वजह से उनकी नौकरी अप्रैल में ही चली गई थी। जिसके बाद उनके परिवार वालों का पालन पोषण करना भी मुश्किल होने लगा। उसके बाद स्कूल की ओर से फीस जमा करनेे का दवाब बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पास एसएमएम आया हुआ है कि 15 जनवरी तक 31 हजार रूपये को जमा करवा दिया।

महामारी के चलते नौकरी चली गई, फीस न देने पर बच्चों को नहीं देने दिए पेपर

अगर वह फीस को जमा नहीं करवाते है तो श्याद उनके बच्चे का 10वीं एडमिट कार्ड को रोक देंगें। ऑनलाइन क्लाॅस की वजह से उन्होंने बच्चे को किसी से पैसे उधार लेकर स्मार्ट फोन दिलाया। अब बच्चे पढ़ाई की बजाए उस फोन को गलत प्रयोग कर रहे है। इसके अलावा हर महीने उस फोन को रीचार्ज करने के लिए भी पैसे देने पड़ते है।

वहीं अभय ने बताया कि उनका बच्चा सेक्टर 3 के टैगोर स्कूल की दूसरी क्लाॅस में पढ़ता है। महामारी के दौरान नौकरी चली गई। जिसकी वजह से वह स्कूल की फीस नहीं भर पा रहे है। उन्होंने बताया कि अब वह जिस कंपनी में नौकरी कर रहे है वह उनको 40 प्रतिशत ही सैलरी दी जा रही है। उस सैलरी से वह घर का पालन पोषण करें की या स्कूल की फीस भरे।

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