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जिस बंजर जमीन पर नहीं उगती थी घास भी, आज वही जमीन उगल रही है सोना

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी कि आईसीएआर द्वारा शुरू की गई योजना मेरा गांव मेरा गौरव अब हरियाणा सहित पांच राज्य के करीबन 5000 से भी अधिक किसानों की तकदीर बदलने में कारगर साबित हो रहा है।

इस योजना के तहत ना सिर्फ हरियाणा बल्कि पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश व गुजरात के 80 गांव के पांच हजार से भी अधिक किसानों की तकदीर पलटने में महत्वपूर्ण योगदान अदा कर रहा हैं।

जिस बंजर जमीन पर नहीं उगती थी घास भी, आज वही जमीन उगल रही है सोना

आइसीएआर के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान द्वारा उक्त प्रोगाम के माध्यम से इस तरह के गांवों को गोद लेना शुरू किया हुआ था। जिसके उपरांत कृषि विज्ञानी किसानों को मृदा सुधार, खराब पानी के सदुपयोग की जानकारी व क्षारीय व लवणीय भूमि में अच्छी फसलों के बीज के चुनाव की जानकारी देते हैं।

जिसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि आप यहां की जमीन उपजाऊ हो रही है और किसान समृद्धि की ओर भी अपना कदम बढ़ा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक संस्थान ने अब तक 80 गांवों को गोद लेकर वहां की स्थिति को सुधारा है।

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विज्ञानियों की टीमें किसानों को मुख्य जानकारी उपलब्ध करवाते हुए बताती है कि किस तरह रबी व खरीफ की फसलों के लिए लवणता प्रबंधन तकनीक पर प्रशिक्षण देना। इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि क्षारीय व लवणीय भूमि में किस प्रकार के बीज का चयन किया जाए। उसकी पहचान कैसे की जाए।


वहीं इसके अलावा संस्थान की तरफ से फसल के लिए इनपुट दिया जाता है और प्रयोग विधि भी सिखाई जाती है। खराब पानी को किस प्रकार से प्रयोग में लाया जा सकता है उसकी विधि की जानकारी दे जाती है। बरसात के पानी को संचित कर उसके प्रयोग की जानकारी।

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केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार ने बताया कि जिस खेत की मृदा सुधार करनी है, वहां की जमीन का ढाल एक ऐसी जगह किया जाता है जहां पर बरसात का पानी जमा हो सकें। उन्होंने आगे बताया कि वहां पर रिचार्ज स्ट्रक्चर लगाया जाता है। जिसके माध्यम से जमीन पर जमा पानी जमीन में उतार दिया जाता है।

परिणाम स्वरूप इससे जमीन के नीचे रिचार्ज स्ट्रक्चर के आसपास के 10 हेक्टेयर तक के पानी का खारापन कम हो जाता है। फिर इस पानी को ङ्क्षसचाई के प्रयोग में लाया जाता है, इससे जमीन की सेहत में भी सुधार होता है। इसका एक फायदा यह होता है

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कि खेत में जलभराव नहीं होता और पानी की गुणवत्ता सुधर जाती है। अभी तक देशभर में अलग-अलग जगहों पर 100 से अधिक रिचार्ज स्ट्रक्चर लगाए जा चुके हैं। संस्थान की यह तकनीक क्षारीय व लवणीय दोनों मृदा पर ही काम करती है।

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