किसान आंदोलन : भटके पीएम नरेंद्र मोदी को राह दिखाएंगे हम ,नादान है वो

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केंद्र सरकार द्वारा पारित किए हुए तीन कृषि कानून हमारे अन्नदाता के लिए गले की फांस बन चुका है। यही कारण है कि अन्नदाता कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर आंदोलन कर अपनी मांग मनवाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।

इस मुहिम में नासिर बुजुर्ग किसान बल्कि युवा किसान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और केंद्र सरकार को चेता रहे है।वही बुजुर्गों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी अच्छा काम कर रहे थे लेकिन सही काम करते-करते वह पथ से भटक गए हैं। हम उन्हें सही राह पर ले आएंगे।

किसान आंदोलन : भटके पीएम नरेंद्र मोदी को राह दिखाएंगे हम ,नादान है वो

आंदोलन कर रहे पंजाब के दीनानगर से पहुंचे 82 साल के बुजुर्ग किसान अमरजीत सिंह ने बताया कि जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं होंगे, वह यहां से वापस रुख नहीं करेंगे चाहे कुछ भी ही जाए।

कुंडली बॉर्डर पर 27 नवंबर को शुरू हुए धरने के 2 दिन बाद ही शामिल होने के लिए आए अमरजीत सिंह न केवल किसानों की आवाज को मुखर कर रहे हैं, बल्कि यहां लगातार लंगर में सेवा भी दे रहे हैं।

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अमरजीत सिंह ने यह भी बताया कि वह बंटवारे का दर्द भी अपनी इन बूढ़ी आखों से देख चुके है। इसके अलावा फिर पंजाब का विभाजन भी और 84 के दंगे समेत आधा दर्जन बड़े आंदोलनों का वह हिस्सा रहे हैं। उन्होने कहा कि यही असल वजह है

कि आंदोलन उनकी आदत में शुमार हो चुके हैं। अब वह आंदोलनों से घबराते नहीं हैं। अमरजीत सिंह बताते हैं कि कंपकंपाती ठंड में पानी के बीच उन्हें खेतों में काम करने की आदत है, ऐसे में यह ठंड उनके लिए कुछ भी नहीं है।

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अमरजीत सिंह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी हैं। नरेंद्र मोदी ने बहुत से अच्छे काम किए हैं, जिसके कारण किसानों के वोट मिलने से ही वह दोबारा सत्ता में आए हैं।

इसी सरकार में 84 के दंगों के मामले में उन्हें न्याय मिला है। करतारपुर कॉरिडोर का काम हुआ और किसानों को सालाना 6 हजार रुपये आर्थिक सहायता मिल रही है। सही काम करते-करते वह पथ से भटक गए हैं।

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किसान अमरजीत सिंह ने कहा कि किसानों की बहादुरी की परीक्षा सरकार को नहीं लेनी चाहिए। सिखों ने पहले भी चार बार दिल्ली जीती है। इस बार फिर से वह तैयार हैं।

उनकी मांग नहीं मानी गई तो 26 जनवरी की परेड किसान करेंगे और लाल किले पर किसानी झंडा लहराएंगे। इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं और धीरे-धीरे उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है।