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टिकटॉक को टक्कर देने के लिए इस शक्स ने लिया 25 लाख का कर्ज़, 50 लाख लोग ने किया टिकट टॉक को इंस्टाल

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लोग अच्छी ज़िन्दगी के लिए कितना कुछ नही करते है और इसी कोईश में मेहनत करते रह जाते है। और ख्व़ाब पीछे छोड़ देते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपनी पहचान बनने के लिए अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए बाकी सब पीछे छोड़ देते है और अपनी अलग पहचान बनाते हैं।

आज की हमारी कहानी एक ऐसे ही शख्स के बारें
में हैं।प्रयागराज के रहने वाले राहुल केसरवानी ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई कंपनियों में अच्छी सैलरी पर काम किया। लेकिन, वो कुछ कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे, जिससे उनकी पहचान बने। पिछले साल मई-जून में उन्होंने एक ऑनलाइन ऐप ‘टिकट टॉक’ लॉन्च किया। यह ऐप टिकटॉक जैसा ही है, जो अब काफी पॉपुलर हो चुका है। 50 लाख से ज्यादा लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। राहुल अब इससे हर महीने 3 से 4 लाख रुपए कमा रहे हैं।

टिकटॉक को टक्कर देने के लिए इस शक्स ने लिया 25 लाख का कर्ज़, 50 लाख लोग ने किया टिकट टॉक को इंस्टाल

150 लोगों को एप के ज़रिये ढूंढा

राहुल की इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई पुरी होने के बाद उनका 2016 में कैंपस सेलेक्शन हो गया और गुडगांव में नौकरी लग गई। वह कंपनी में काम के बजाय काम सीखना चाहते थे, इसलिए उन्होनें वह नौकरी छोड़कर नोएडा में एक स्टार्टअप ज्वाइन किया, हॉटस्टार की तर्ज पर फुटबाल मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग की और फ़िर एक सोशल ऐप में काम करने लगा, जो गुमशुदा लोगों को ढूंढने का काम करता था। लगभग 150 लोगों को उन्होनें  इस ऐप के जरिए ढूंढा था।

ऐप लॉन्च के लिए 25 लाख रुपए का कर्ज लिया।

ऐप लॉन्च करना आसान नही था। राहुल ने ऐप लॉन्च करने के लिए 25 लाख रुपए का कर्ज लेना पड़ा था। वह सोच नहीं पा रहे थे कि इसे कैसे उबरेंगे। क्योंकि टिकटॉक को हराना आसान नहीं था। एक वक्त तो ऐसा भी आया कि उनका सर्वर ही बैठ गया, लेकिन उन्होनें हार नही मानी और समस्या सुलझाई और आगे बढ गए। आपको बता दे 50 लाख लोग इस एप को डाउनलोड कर चुके हैं इससे और बेहतर बनने के लिए राहुल ने एक कंपनी भी बनाई है जिसमें 25 लोग काम कर रहे हैं।

कैसे शूरू किया सफ़र

टिकटॉक को टक्कर देने के लिए इस शक्स ने लिया 25 लाख का कर्ज़, 50 लाख लोग ने किया टिकट टॉक को इंस्टाल

राहुल बाकियों से कुछ अलग करना चाहते थे और इसिलिए उन्होनें अपनी 13 लाख की नौकरी नौकरी छोड़ दी। कॉलेज टाइम से ही वह अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर वेबसाइट और सॉफ्टवेयर बनाने का काम करता थे। प्रयागराज में कई स्कूल उनके क्लाइंट हैं। लेकिन कोरोना आ गया और उनको काम रुक गया पर उन्हें सोचने का वक्त मिल गया।

जब बीच में चाइनीज ऐप बैन हुए तब टिकटॉक के मुकाबले जो ऐप मार्केट में मौजूद थे, वो उतना बेहतर नहीं कर पा रहे थे। और तभी उन्होनें तय किया कि एक ऐसा ऐप लॉन्च करेंगे, जो टिकटॉक को टक्कर दे सकें। और हुआ भी ऐसा ही टिकटॉक
बैन हो गया। और लोगों ने इनका एप ट्राई किया और खुब पसंद किया।

Written by: Isha singh

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