किसान आंदोलन ने खूब डाला दुष्यंत पर दबाव, अब दिखी जेजेपी बीजेपी गठबंधन में दरार

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अपनी मांग बनवाने के लिए और कृषि कानूनों का विरोध प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों किसान अब केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार पर भी तंज कसने से बाज नहीं आ रहे हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण वासियों ने जो नेताओं के उनके गांव में घुसने पर भी पाबंदी लगा दी है। बीते रविवार को हरियाणा की राजनीति में किसान आंदोलन ने खूब रंग जमाया।

दरअसल, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे नाराज किसानों ने करनाल कैमला गांव के अंतर्गत होने होने वाली मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की महापंचायत को भंग करने में अपना पूरा एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।

किसान आंदोलन ने खूब डाला दुष्यंत पर दबाव, अब दिखी जेजेपी बीजेपी गठबंधन में दरार

दरअसल, इस महापंचायत से पहले ही वहां पहुंचने वाले सीएम मनोहर लाल खट्टर के हेलीकॉप्टर को उतरने नहीं दिया गया और सीएम का हेलीकॉप्टर उतरे बिना ही वापस लौट गया।

जानकारी के लिए बता दें कि करनाल विधानसभा क्षेत्र से ही मुख्यमंत्री स्वयं जीते थे और आज हालात ये हैं कि स्वयं मुख्यमंत्री को यहां पधारने से पहले किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है।

किसान आंदोलन ने खूब डाला दुष्यंत पर दबाव, अब दिखी जेजेपी बीजेपी गठबंधन में दरार

यह सब दृश्य देख दूसरी तरफ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हरियाणा में भाजपा जजपा गठबंधन पर किसान आंदोलन की गहरी चोट पड़ी है।

किसानों की राजनीति करने वाले बड़े नामों में शुमार रहे भूतपूर्व उपप्रधानमंत्री स्वः चौ. देवीलाल के परिवार से आने वाले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर भी दवाब बना हुआ प्रतीत हो रहा है। अगर आने वाले समय में भी किसान आंदोलन इसी तरह चरम सीमा पर रहा तो उसने ही चांस है

किसान आंदोलन ने खूब डाला दुष्यंत पर दबाव, अब दिखी जेजेपी बीजेपी गठबंधन में दरार

कि आंदोलन जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ाता जाएगा। उन पर यह दबाव बढ़ता जाएगा कि प्रदेश में उनकी पार्टी भाजपा सरकार को समर्थन जारी रखे या वापस लेने की घोषणा करे।

प्रदेश की राजनीति के जानकार चंद्रप्रकाश बताते हैं कि प्रदेश में जब भाजपा और जजपा का गठबंधन हुआ था तो उस वक्त भी जजपा के वोटर इसे लेकर नाखुश दिखाई देते थे। इसका जवाब यह पता चला था

कि जजपा का वोट बैंक ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में है। इसमें भी कृषक वर्ग के लोगों की अच्छी खासी तादाद रही है।

किसान आंदोलन ने खूब डाला दुष्यंत पर दबाव, अब दिखी जेजेपी बीजेपी गठबंधन में दरार

उन्होने कहा कि हो सकता है कि उस वक्त भाजपा सरकार को समर्थन देना दुष्यंत चौटाला की मजबूरी रही हो। उन्होने आगे बताया कि हरियाणा में करीब डेढ़ दशक से चौटाला परिवार सत्ता से बाहर रहा था।

उन्होंने कहा कि उस वक्त दुष्यंत चौटाला के पास एक मौका था कि वह खट्टर सरकार में शामिल होकर अपनी पार्टी को मजबूती प्रदान कर सकते थे और उन्होंने ऐसा ही किया।

हालांकि उसके बाद भाजपा को समर्थन देना चौटाला समर्थकों को रास नहीं आया था। जिसका नतीजा पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बन गया था कि किस तरह दुष्यंत चैटाला के प्रचार करने के बावजूद भी बड़ोदा विधानसभा का उपचुनाव भाजपा हार गई थी।

शोधार्थी रविंद्र कुमार के मुताबिक किसान आंदोलन का नुकसान भाजपा और जजपा, दोनों को हो रहा है। दुष्यंत को यह बात समझनी होगी कि उनका मुख्य वोट बैंक तो किसान ही है।अगर अब वे इनके समर्थन में खुलकर सामने नहीं आते हैं

तो आगामी चुनाव में किसान समुदाय की नाराजगी उनके लिए राजनीतिक नुकसान का सबब बन सकती है। उपचुनाव और स्थानीय निकाय के रिजल्ट यह समझने के लिए काफी हैं कि प्रदेश में भाजपा व जजपा के लिए माहौल संतोषजनक नहीं है।