किसी भी मामले में जांच यदि 2 साल से चल रही हो और उसका परिणाम शून्य रहा हो तो प्रशासन पर सवाल उठने लाज़मी हैं। सदपुरा गांव की चकबंदी रिकार्ड गायब होने के मामले में 2 साल होने को हैं लेकिन अभी तक यह पता नहीं लगा है कि किसने यह कांड किया है। 2 साल बहुत ही अधिक समय होता है। सदपुरा चकबंदी के रिकार्ड गायब हुए दो साल बीत रहे हैं।
2 साल में अभी तक कोई भी यह तय नहीं कर पाया है कि सदपुरा नकबंदी रिकॉर्ड किसने गायब किया। अभी तक शासन यह तय नहीं कर सका है कि इसका कसूरवार अधिकारी कौन है। इस तरह यह जांच एक मजाक बन कर रह गई है।
उस समय के अधिकारी अब कहां हैं, यह जनता सोच भी नहीं सकती। आपको बता दें, इस मामले में सबसे पहले जांच नायब तहसीलदार राजेंद्र द्वारा की गई थी जिसमें तत्कालीन पटवारी को दोषी माना। इसके बाद जांच एसडीएम बड़खल पंकज सेतिया से कराई गई। फिर जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने यह जांच अतिरिक्त उपायुक्त को सौंप दी।
जिले में लगातार प्रशासन नकाम दिखाई दे रहा है। कुछ समय पहले नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में भी आग लग गयी थी। सदपुरा मामले में पिछले महीने अतिरिक्त उपायुक्त ने अपनी जांच में तत्कालीन कानूनगो को दोषी माना। इस पर उन्होंने जिला उपायुक्त के समक्ष इस मामले की कमेटी से जांच कराने की अर्जी लगा दी।
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