भारतीय संस्कृति में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना गया है। पौष माह में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता हैं तब हिन्दू मकर संक्रांति मनाते हैं। भगवान सूर्य की आराधना का पर्व मकर संक्राति पूरे देश में हर्षो उलास के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन में सुबह स्नान करके , बड़े- बुजुर्गो का आर्शीवाद लेकर मंदिर में पूजा की जाती है। विद्वानों की मानें तो मकर संक्राति का दिन धार्मिक व भौगोलिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होता हैं।
दही, लाय और खिचड़ी की महक
मकर संक्राति पर्व पर घर में स्वादिष्ट भोजन बनाया जाता है जिसमें दही, लाय, तिलकुट, खिचड़ी और दाल-चूरमा आदि की महक हर घर में महकती है। लोग ढोल और बाजे पर नृत्य और गीत के साथ लोग स्वादिष्ट व्यंजन का भी स्वाद लेते है।
दान की परंपरा
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन लोग दान करना को महत्व देते है लोगों की मान्यता है की इस दिन दान करने से धार्मिक,आर्थिक व सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। इस दिन महिलाएं दान करने की परंपरा का निर्वाह करते हुए मायके से कपड़े, जूते, शॉल, कंबल और उपहार मंगाती हैं।
रुठे को मनाकर घर लाने की परंपरा
गांव की महिलाएं ढोल और बाजे पर नृत्य और गीत गाते हुए रूठे लोगों को कपड़े, खिलौने और मिठाई आदि देकर उन्हे मना कर घर वापिस लाती हैं। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक गीत गाकर माहौल को सुहाना बना देती हैं।मकर संक्रांति के दिन वधु बुजुर्गों का सम्मान करती है। उनके सम्मान के लिए इस दिन नदियों में मकर संक्रांति पर स्नान भी करते हैं। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण की ओर आ जाते हैं तथा उसके बाद लोग कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। लोग अपने सभी काम तभी शूरू करते हैं।
पतंगबज़ी
ऐसे तो ये त्योहार बिना पतंगबज़ी के अधूरा हैं। इस दिन को पूरा करता है पतंगबाज़ी। लोग इस दिन खुब पतंगबज़ी करते है साथ ही एक दुसरे की पतंग कटने का भी पूरा मज़ा उठते है। पतंग के बीच ये छोटी नोक छौक लोगों को बहुत पसंद आती है।
Written by: Isha singh