एक समय था जब बाल विवाह और लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाता था और नाबालिग में ही उनके हाथ पीले कर दिए जाते थे बिना लड़कियों की मर्जी जाने। मगर जमाने के साथ और बदलते वक्त के साथ अब हरियाणा की बेटियों की सोच भी बदलने लगी है
और अब बेटियों का मानना है कि उन्हें पहले आत्मनिर्भर होना होगा तभी उन्हें उनकी जिम्मेदारी और घर गृहस्थी की समझ बखूबी होगी।
दरअसल महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विज्ञान विवाह किस सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं परामर्शदाता डॉ प्रोमिला बतरा के द्वारा देश में सर्वे किया गया तो लगभग 70% बेटियों का नजरिया कुछ इसी तरह का था।
जहां बेटियों ने अपने हाथ पीले करने से ज्यादा अपने हाथों में आत्मनिर्भरता का बोझ उठाना बेहतर समझा।
उन्होंने तीन साल से चल रही काउंसिलिग के दौरान बेटियों को लेकर यह सर्वे किया। 17 से 30 साल की बेटियों पर किए गए सर्वे में सिरसा-फतेहाबाद से लेकर अंबाला-करनाल और रोहतक-झज्जर समेत अन्य जिलों की बेटियों को शामिल किया गया।
साथ ही दिल्ली-गुरुग्राम जैसी मैट्रो सिटी से भी कुछ बेटियों को इसमें शामिल किया।
कुछ मिलाकर 145 बेटियों पर हुए इस सर्वे में सामने आया कि 101 बेटियां यानी कि 70 फीसद बेटियां ऐसी हैं जो शादी से पहले आत्मनिर्भर होना चाहती है।
बेटियों की चाहत यही है कि वह नौकरी या बिजनेस में सफल होने के बाद वह गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना चाहती है। जबकि 30 फीसद यानी 44 बेटियां ऐसी मिली कि जिनकी सोच है कि पढ़ाई के तुरंत बाद गृहस्थी बस जाए तभी बेहतर है।
सर्वे के दौरान प्रदेश में बेटियों से उक्त प्रश्न पूछे गए थे जिसमें उनसे यह जाना गया कि वह शादी से पहले घर गृहस्थी का जीवन व्यतीत करना बेहतर समझती है या फिर आत्मनिर्भर होने के बाद। तो कुछ इस तरह का बेटियों का जवाब
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की रिटायर्ड प्रोफेसर प्रो. प्रोमिला बतरा का कहना है कि अब बदलाव का समय आ गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियों की भी सोच बदल रही है। बेटियां भी हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही है। माता-पिता को भी समझना होगा कि गृहस्थ जीवन जरूरी है,
लेकिन उससे पहले अगर बेटियां आत्मनिर्भर बन जाए तो बेहतर है। इस सर्वे में खास यह रहा कि प्रोफेशनल कालेज में पढ़ने वाली बेटियों से बात की गई तो उनके ऊपर समय से पहले शादी को लेकर कोई दबाव नहीं मिला।
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