फरीदाबाद में जितने भी सरकारी शौचालय हैं उन सभी की कंडम हालत के बारे में आप सभी जानते हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 को ध्यान में रखते हुए नगर निगम लोगों को जागरूक करने में जुट गया है, अच्छी बात है, पर शहर के शौचालयों की तरफ अधिकारियों का ध्यान नहीं है। लेकिन अब धीरे धीरे अधिकारीयों का ध्यान इस पर जा रहा है।
स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग अभ्यास भारत सरकार की एक गतिविधि है। चौक-चौराहों पर बने खत्तों से भी नियमित रूप से कचरा नहीं उठाया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम क्षेत्र में अलग-अलग बाजारों, प्रमुख चौक-चौराहों तथा स्लम क्षेत्रों में शौचालय बनाकर स्थापित कर दिए गए।
मार्च में स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 शुरू होने वाला है। बेहतर रैंकिंग पाने को नगर निगम लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहा है। कहीं कंकरीट के शौचालय, तो कहीं प्री-फैब्रीकेटेड शौचालय बनाए गए, मगर देखरेख के अभाव में शौचालयों की मौजूदा हालत खराब है। कई जगह ताले जड़े हैं। इसका उद्देश्य राज्यों एवं शहरी स्थानीय निकायों द्वारा स्वच्छता प्रयासों के स्तरों का आकलन समयबद्ध और नवाचार तरीके से करना है।
खत्तों से नियमित रूप से कचरा उठाने की जिम्मेदारी इकोग्रीन की है, मगर इकोग्रीन की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं है। पहले शौचालय बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, फिर उनकी मरम्मत और देखरेख के नाम पर, मगर अधिकांश शौचालयों का प्रयोग नहीं हो पा रहा है।
अधिकारी सब कागज़ों में काम दिखाने के लिए थोड़ा बहुत जागरूक कर रहे हैं। नहीं तो यह काम भी करने का कष्ट कैसे ले लेते। निगम अधिकारियों व इकोग्रीन का यही उदासीन रवैया रहा, तो एक बार फिर सर्वेक्षण में पिछड़ना तय है। ऐसे में लोगों को जागरूकता करने की मुहिम भी किस काम की।