गुरुग्राम समेत दिल्ली-NCR में रहने वाले लोगों के लिए और रैपिड मेट्रो में सफर करने वाले 60,000 यात्रियों के लिए अब बुधवार का दिन अहम होगा। बता दे की बुधवार को चंडीगढ़ में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अब अहम सुनवाई होगी।
जिसमें यह तय होगा कि रैपिड मेट्रो के संचालन को लेकर क्या रास्ता निकले। दरअसल, हरियाणा उच्च न्यायालय में सुनवाई तो हुई थी, लेकिन पूरी तरह से नहीं हो पाई सुनवाई अब इस विषय पर सुनवाई बुधवार को होगी।
वहीं, रैपिड मेट्रो को संचालित करने वाली कंपनी का कहना है कि हरियाणा सरकार अगर उन्हें संचालन शुल्क और बीमा भुगतान को वहन करती रहे तो ही मेट्रो चलती रहेगी। हालांकि पहले हुए सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेशों को 17 सितंबर तक बढ़ाते हुए दोनों पक्षों को विवाद के 10 बिंदुओं पर बैठक कर आपस में सुलझाने के आदेश दिए थे।
बता दे कि कोर्ट में सुनवाई के चलते फिलहाल रैपिड मेट्रो चलती रहेगी। रैपिड मेट्रो का संचालन कर रही कंपनी ने 7 जून को एचएसवीपी को 90 दिन का नोटिस दिया हैं और सेवाएं स्थगित करने को कहा था।
एचएसवीपी ने इस नोटिस के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायलय में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने अपने आखिरी आदेशों में 10 बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा कि एचएसवीपी सुनिश्चित करे कि वह अपना प्रोजेक्ट कब तक अपने अधीन कर लेगी।
गुरुग्राम की लाइफ लाइन रैपिड मेट्रो हैं।जैसे दिल्ली मेट्रो राजधानी की लाइफ लाइन बन चुकी है,वैसे ही गुरुग्राम की लाइफ लाइन रैपिड मेट्रो हैं। बता दे की रैपिड मेट्रो में करीबन रोजाना 60,000 यात्री सफर करते हैं। अगर रैपिड मेट्रो का संचालन बंद हुआ तो लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं।
बता दे अधिकार मंच के सदस्य व आरटीआइ कार्यकर्ता हरींद्र धींगड़ा ने कहां की रैपिड मेट्रो को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार अपना खजाना लुटाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में शुरू से ही नियमों को दरकिनार किया गया।रैपिड मेट्रो के लिए प्रदेश सरकार ने राइट्स के माध्यम से सिकंदरपुर से दिल्ली-जयपुर हाईवे की कनेक्टिविटी के लिए फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करवाई थी। राइट्स ने 3.2 किलोमीटर के मेट्रो लिंक की अनुशंसा की थी, जिसकी लागत लगभग 403 करोड़ रुपये अनुमानित थी।
Written By :- Radhika Chaudhary