90 दशक के सितारे जिन्होंने ‘खलनायक’ बनकर बनाई एक नई पहचान

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बॉलीवुड इंडस्ट्री हमेशा से ही हीरो के मामले में भरी क्यों न हो मगर किसी भी फ़िल्म को सुपरहिट बनाने का काम एक विलेन का ही होता है। एक्शन मूवीज में विलेन का रोल एक एहम भूमिका निभाता है, उसी को लोग ज्यादा देखना पसंद करते है। 90 दशक के लगभग सभी सटर्स जिन्होंने विलेन का किरदार निभाया वह जबरदस्त हुआ करता था। इन्ही को देखते हुए अब सुपरस्टार अक्षय कुमार, शाहरुख खान, आमीर खान भी विलेन का रोल करना चाहते है।

उस दशक विलेन के आगे हीरो तो क्या ही टिक पाते, सभी को विलेन की एक्टिंग इतनी अच्छी लगती थी कि वह सालो साल उस किरदार को भूल नहीं पाते थे। इनकी एक्टिंग के लोग आज भी उतने ही दीवाने है जितने की पहले हुआ करते थे। इन जैसा और कोई हुआ ही नहीं। उन विलेन की बात हम आज करने जा रहे है।

अमरीश पुरी

अमरीश पुरी एक ऐसे शक्स है जिन्होंने विलेन का रोल निभाकर असल जिंदगी में हीरो का रोल निभाया है। लगभग 400 फ़िल्म कर चुके अमरीश दुनिया भर में ‘ मोगैम्बो ‘ के नाम से जाने जाते है। इस फ़िल्म का फेमस डायलाग, ‘मोगैम्बो खुश हुआ ‘ दर्शको द्वारा काफी सरहाना गया।

90 दशक के सितारे जिन्होंने 'खलनायक' बनकर बनाई एक नई पहचान

अमरीश की अर्द्धसत्य, भूमिका, चाची 420, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, दामिनी, गर्दिश, गदर, घातक, घायल, हीरो, करण अर्जुन, कोयला, मंथन, मेरी जंग, मि. इण्डिया, कोयला, लोहा जैसी फिल्में शामिल है जहाँ उन्होंने अनदेखे किरदार निभाए।

अमजद खान

अमजद बॉलीवुड के ऐसे विलेन बने जो कभी ना भुलाए गए। आज भी उनकी फिल्म ‘ शोले ‘ टीवी पर उसी अंदाज में धूम मचाती है जैसे 90 के दशक में थियेटर पर मचाया करती थी। शोले का फेमस डायलाग ‘ कितने आदमी थे ‘ आज भी लोगो द्वारा सुनने को मिल जाता है। कॉलेज का नुकड़ नाटक हो, विलेन की एक्टिंग करनी हो, हर जगह इस डायलाग को याद किया जाता है।

90 दशक के सितारे जिन्होंने 'खलनायक' बनकर बनाई एक नई पहचान

अमजद खान की यह पहली डेब्यू फिल्म थी जिसमे उन्होंने विलेन का रोल निभाया था। इसके बाद उनकी और भी फिल्मे आयी जैसे लव स्टोरी, चरस, हम किसी से कम नही, इनकार, परवरिशज़, शतरंज के खिलाड़ी, देस-परदेस,दादा, गंगा की सौगंध, कसमे-वादे, मुक्कदर का सिकन्दर, लावारिस, हमारे तुम्हारे, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, और कालिया।

गुलशन ग्रोवर

खलनायक की भूमिका निभाने वाले गुलशन ग्रोवर ने करीबन 150 फिल्में की है जिसमे ज्यादातर उन्होंने विलेन का रोल ही निभाया है। उन्हीने न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड में भी धूम मचा रखी है। ग्रोवर एक बहुत ही जाने माने बेहतरीन विलेन रहे है अपने दौर में और शायद आज भी उन्हें लोग इसी अवतार में ज्यादा पसदं करते है।

90 दशक के सितारे जिन्होंने 'खलनायक' बनकर बनाई एक नई पहचान

गुलशन इंडस्ट्री में एक ‘ बैड मैन ‘के नाम से जाने जाते है इसका कारण है फिल्मों में उनका नेगेटिव रोल।उनका कहना है, जिंगदी में वह अच्छी फिल्मों की वजह से इस मुकाम पर पहुँचे है। उन्हीने कहा, ‘जैसे आखिरी मुग़ल था, वैसे ही आख़िरी ख़ालिस खलनायक मेरे साथ ख़त्म हो जाएगा ‘ ।

प्रेम चोपड़ा

‘ प्रेम चोपड़ा नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा, आंखें निकाल के गोटियां खेलता हूँ ‘। कभी भुलाए न भूले इस किरदार को भला कौन नहीं जानता होगा। प्रेम चोपड़ा का यह सुपरहिट डायलाग आज भी बच्चे- बच्चे की जुबान पर है। असल जिंदगी में प्रेम चोपड़ा एक सहनशील और शांत किस्म के व्यक्ति है।

90 दशक के सितारे जिन्होंने 'खलनायक' बनकर बनाई एक नई पहचान

प्रेम चोपड़ा ने देवानंद, मनोज कुमार, राजकपूर, मनमोहन देसाई और यश चोपड़ा जैसे फिल्मकारों के साथ अत्याधिक कार्य किया। फ़िल्म ‘ सौतन ‘ में प्रेम चोपड़ा द्वारा बोला गया डायलाग, ‘ मैं वो बला हूँ जो शीशे से पत्थर को तोड़ता हूँ ‘ जैसे मानो लोगो की जुबान पर रट गया हो।

Written by – Aakriti Tapraniya