वैसे तो हरियाणा में राजनीति और रणनीति के अलग ही किस्से सामने आते रहे हैं। मगर एक ऐसा भी समय था जब हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मचा कर रख दी थी। जिसे आज भी बहुचर्चित महम कांड के रूप में हरियाणा में जाना जाता है।
इस मामले में आज रोहतक में अल्लाह अदालत द्वारा अहम फैसला सुनाते हुए इस मामले में केस को दोबारा शुरू करने की पुनर्विचार याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया गया।
जिसके बाद इस मामले में अब दोबारा के शुरू नहीं किया जाएगा और इसका सबसे बड़ा फायदा इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला और अन्य लाेगों को मिलने से उन्हें बड़ी राहत मिली है। 27 फरवरी 1990 को हुए इस बहुचर्चित महम कांड को लेकर कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें लगी हुई थीं।
रोहतक की जिला अदालत की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितु वाई के बहल की कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला व अन्य के खिलाफ वर्ष 1990 में महम उपचुनाव के दौरान बेंसी गांव में बवाल को लेकर फिर से केस शुरू करने की मांग की गई थी।
हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर खरक जाटान निवासी मृतक हरि सिंह के भाई रामफल ने सेशन कोर्ट में इनेलो नेता अभय चौटाला और पूर्व डीआईजी शमशेर सिंह समेत कई के ऊपर आरोप लगाए थे।
वर्ष 2018 में सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
बता दें कि 27 फरवरी 1990 में महम उपचुनाव के दौरान बैंसी गांव में बवाल हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इस उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला उम्मीदवार थे।
यह मामला बंद हो गया था, लेकिन केस फिर शुरू करने के लिए सितंबर 2018 में सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई।
2018 से इस मामले पर राहेतक की अदालत में कई बार सुनवाई हो चुकी थी। इनेलो नेता अभय चौटाला सहित कई महत्वपूर्ण लोगों के नाम जुड़े होने के कारण यह मामला तभी से काफी सुर्खियों में रहा।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाया तो दोनों पक्षों के लोग मौजूद थे।
27 फरवरी 1990 को महम में विधानसभा का उपचुनाव हुआ था। चुनाव के दौरान बैंसी गांव में बवाल हो गया था। इसमें खरक जाटान गांव निवासी रामफल के बड़े भाई हरिसिंह समेत कई लोगों की मौत हो गई थी।
1 मार्च 1990 को महम थाने में आजाद उम्मीदवार धर्मपाल दांगी की तरफ से 76 नंबर एफआइआर दर्ज कराई गई। इसमें इनेलो नेता अभय चौटाला, डीआइजी शमशेर सिंह, एएसपी सरेश चंद्र और डीएसपी सुखदेव राज राणा
दरियापुर निवासी भूपेंद्र उर्फ भूप्पी, दौलतपुर निवासी पप्पू और फतेहाबाद जिले के गिल्लाखेड़ा निवासी अजित सिंह पर केस दर्ज दर्ज किया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर एसआइटी का गठन किया। जिसमें बैंसी स्कूल के चपरासी से लेकर अन्य कई लोगों के बयान लिए गए।
10 दिसंबर 1995 को एसआइटी ने इस मामले की अनट्रेस रिपोर्ट दे दी। 28 अगस्त 2003 को इस मामले की जांच भी बंद कर दी गई।3 नवंबर 2016 को हरि सिंह के भाई हरियाणा पुलिस के रिटायर्ड एएसआइ रामफल ने एसपी को शिकायत दी।
जिसमें इससे संबंधित केस के दस्तावेज मांगे गए और साथ ही दोबारा से केस शुरू करने की मांग की। 31 मार्च 2017 को महम कोर्ट में क्रिमिनल शिकायत डाली गई, जिसमें इनेलो नेता अभय चौटाला समेत अन्य को भी आरोपित बताया गया।