भारतीय इतिहास में ऐसी शर्मनाक घटना पहले कभी नहीं हुई। किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में घुसे तथाकथित किसानों ने अपने दो झंडे लाल किला की प्राचीर पर वहां लगा दिए जहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
इन किसानों ने यह शर्मनाक कृत्य कर देश-दुनिया में अपने देश की बदनामी करने का प्रयास किया है।
हम सभी को मिलकर ऐसे कृत्यों की कड़े शब्दों में भर्त्सना करनी चाहिए। किसान आंदोलन करें मगर कुछ अराजक तत्वों के कारण किसानों का आंदोलन दिशाहीन व नेतृत्व हीन हो गया है।
इसका असर पूरे देश की व्यवस्था पर पड़ रहा है। केंद्र सरकार से बार-बार वार्ता के बाद भी किसानों के संगठनों ने देश की जनता की चुनी हुई सरकार को धोखा दिया है।
अब किसान संगठनों को शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चलाने में अपनी विफलता के बाद वापस अपने घर लौट जाना चाहिए। आंदोलन शांतिपूर्वक होना चाहिए।
केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने किसानों से अपील की है कि वे वापस अपने घरों को लौट जाएं। इसके लिए गुर्जर ने किसानों से कहा है कि राष्ट्रीय पर्व पर किसानों द्वारा दिल्ली को हिंसा में झोंकना और अराजकता का माहौल पैदा करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
वे पहले ही दिन से कह रहे थे कि यह आंदोलन दिशाहीन है। ट्रैक्टर परेड का रूट तय करने वाले किसान संगठनों के नेता कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। इस हिंसा के लिए किसान संगठन जिम्मेदारी लें और तत्काल प्रभाव से किसान दिल्ली बार्डर खाली करें। अपने घरों को लौट जाएं।
सरकार को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर न करें। मोदी विरोधी और मोदी सरकार को अस्थिर करने वाले राजनीतिक दल किसानों को मोहरा बनाकर देश को आग में झोंकना चाहते हैं। किसानों को सरकार विरोधी दलों का षडयंत्र समझ लेना चाहिए।