84 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरने के बाद बन गई मिसाल , जानिए क्यों ?

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कहते हैं इंसान का जीना और मरना सब ऊपर वाले के हाथ में रहता है। मगर जीते जी दुनिया के लिए मिसाल बन जाता यह इंसान अपनी किस्मत और तकदीर में खुद ब खुद लिख कर जाता है। कुछ अपने कर्मों से तो कुछ अपने पापों से दुनिया में अपना नाम रोशन तो कोई बदनाम कर जाता है।

मरने के बाद तो केवल ऐसे ही व्यक्तियों को याद किया जाता है। जिसने जीते जी कोई नेक काम किया हो या फिर दुनिया को एक मिसाल के रूप में उदाहरण पेश किया हो। मगर आज हम आपको एक ऐसी बुजुर्ग महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने मरने के बाद भी एक मिसाल दुनिया के सामने पेश की है।

84 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरने के बाद बन गई मिसाल , जानिए क्यों ?

दरसअल, खाड़ी महोल्ला, दिनोद गेट निवासी 84 वर्षीय बुजुर्ग महिला भरपाई इंन्सां मरने के बाद भी इंसानियत की मिसाल कायम कर गई है। यह मिसाल लोगों के लिए काफी प्रेरणा का कार्य भी करेगी। कहते हैं भले ही इंसान मर जाता है लेकिन उसकी इंसानियत हमेशा समाज में जिंदा रहती हैं किसी अमर व्यक्ति की भांति। ऐसा ही कुछ उक्त महिला ने कर दिया है कि लोग चाहकर भी उन्हें कभी भुला नहीं पाएंगे।

दरसअल, उन्होंने अपना मृत्यु के बाद शरीर दान मेरठ के इंस्टीटयूट ऑफ मैडिकल साईंस को मैडिकल रिसर्च के लिए दान कर दिया। 84 वर्षीय भरपाई इन्सां की मौत हो गई थी। उन्होंने अपना जीवन धार्मिक पृष्ठभूमि में गुजारा। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा सिरसा से नामदान लिया हुआ था तथा शरीर दान का फॉर्म भी भरा हुआ था।

84 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरने के बाद बन गई मिसाल , जानिए क्यों ?

शरीरदानी भरपाई इन्सां चार बेटियों की माता थी। वह अपने पीछे 10 दोहते.दोहतियों का भरा.पूरा परिवार छोड़ गई। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी मृत्यु उपरांत उनके शरीर का दान मैडिकल रिसर्च के लिए किया जाए।

उनकी बेटियों ने उनकी अर्थी को कांधा देकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी कायम की। कांधा देकर बेटियों ने मृतिका भरपाई इन्सां के शरीर को एंबुलैंस वैन तक पहुंचाया, जो मेरठ के मैडिकल इंस्टीट्यूट में शरीर को रिसर्च के लिए ले गई। इस मौके पर शहर के गणमान्य लोग व डेरा प्रेमी भी विशेष रूप से मौजूद रहे।