सरकारी अनुदानों में लेट लतीफी, 9 महीने बाद बच्चों को मिला दोपहर के खाने का पैसा

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जिले में सरकारी स्कूलों में देरी से पहुंच रहे कुकिंग कॉस्ट को लेकर अधिकारी ने जांच के आदेश दिए है। सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल की कुकिंग कॉस्ट में अनियमितताएं बरतने की शिकायत आ रही है। विद्यार्थियों के खाते में कुकिंग की राशि कई महीने बाद पहुंच रही हैं। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी के संज्ञान में अब यह मामला आया है। उन्होंने मिड डे मिल से जुड़े कर्मचारियों से इसकी जांच कराने के लिए कहा है ताकि यह पता लग सके कि राशि विद्यार्थियों के खाते में पहुंच रही है या नही।

मार्च 2020 से कोरोना वायरस के कारण पहली से 8वीं कक्षा तक के स्कूल बंद है और इन्हीं कक्षाओं के विद्यार्थियों को मिड डे मिल दिया जाता है। बावजूद इसके सरकार ने बच्चों को मिलने वाला मिड डे मिल बन्द नही किया। विद्यार्थियों को सूखा राशन दिया और उसे पकाने की राशि उनके खाते में पहुंचाने की सुविधा की।

सरकारी अनुदानों में लेट लतीफी, 9 महीने बाद बच्चों को मिला दोपहर के खाने का पैसा

यहां तक कि अध्यापकों ने घर – घर जाकर विद्यार्थियों को सूखा राशन पहुंचाया, पर अब मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी को स्कूलों के निरीक्षण के दौरान शिकायत मिली है कि कुकिंग कॉस्ट खातों में सुचारू रूप से नही पहुंच रही है। अगर सेक्टर – 21सी प्राइमरी स्कूल की बात करें तो यहां के विद्यार्थियों के खाते में 11 जनवरी को 9 महीने बाद राशि पहुंची जबकि यह राशि हर महीने विद्यार्थियों के खाते में जानी चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए मौलिक शिक्षा अधिकारी ने जांच के आदेश दिए है।

जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने बताया कि मैं हैरान हूं कि 9 महीने की कुकिंग कॉस्ट एक साथ पहुंची है। यह बड़ी लापरवाही है। सीआरसी इस मामले में क्या कर रहे है।

सरकारी अनुदानों में लेट लतीफी, 9 महीने बाद बच्चों को मिला दोपहर के खाने का पैसा

यह तो शिक्षा विभाग के निर्देशों के प्रति घोर लापरवाही है। सभी स्कूलों से इसे बारे में जानकारी मांगी गई है। लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

Written by Rozi Sinha