क्या राकेश टिकैत के‌ आंसू बना रहे है किसान आंदोलन को मजबूत

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गणतंत्र दिवस पर हुए हिंसा के बाद जहां किसान संगठनों में दरार देखने को मिल रही थी, वही अब कृषि कानूनों के विरोध में एक बार फिर किसान संगठन एक बैनर के तले आने की तैयारी में जुट गए है। एक ही दिन में किसान आंदोलन में हुई उठा- पटक के बाद लोगों का रुझान एक बार फिर किसानों की ओर आता दिखाई दे रहा है। वही दूसरी ओर किसान और किसान नेता इस आंदोलन को फिर से सक्रिय और व्यापक रूप देने में जुट गए है।

ज्यादातर किसान नेताओं ने भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत की तरफ अपना रुझान दिखाया है। जिले में भारतीय किसान यूनियन के पूर्व पदाधिकारी अपने अपने बैनर के तले एकजुट होने की तैयारी कर चुके है। इसके लिए किसान संगठनों ने तिगांव अधाना पट्टी व बल्लबगढ़ और गांव पन्हेडा में बैठकों का आयोजन किया।इस बैठक में किसान आगे की रणनीति तय कर रहे है।

क्या राकेश टिकैत के‌ आंसू बना रहे है किसान आंदोलन को मजबूत

वही कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर से आह्वाहन के बाद फरीदाबाद के किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे है। वहां पहुंचकर इन नेताओं ने अपनी फोटो भी शेयर की।है।

राष्ट्रीय किसान यूनियन के अध्यक्ष ऋषिपाल अंबावता ने बताया कि दोबारा आंदोलन को व्यापक रूप दिया जाएगा। हमारी लड़ाई एमएसपी समर्थन और तीन कानून को वापस लेने को लेकर है। अब किसान आंदोलन को पूरी तरह मजबूती के साथ लड़ा जाएगा। हम ही नही अब देश भर का किसान आंदोलन से जुड़ जाएगा और वहां धरना स्थल पर पहुंचेगा। हम राकेश टिकैत द्वारा किए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते है।

क्या राकेश टिकैत के‌ आंसू बना रहे है किसान आंदोलन को मजबूत

वही नहर पार के किसान संघर्ष समिति के संयोजक सतपाल नर्वत का कहना है कि शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखने वाले किसानों का समर्थन करते है। हम चाहते है कि आंदोलन चले और सरकार व संगठन में बातचीत का रास्ता बने ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान हो। मांगें माने तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। संघर्ष कितना भी लंबा क्यों न हो, मांगों को समर्थन जारी रहेगा।

Written by Rozi Sinha