देश में जहां नए बजट आने की तैयारी चल रही है वहीँ दूसरी ओर हरियाणा सरकार ने एक बबड़ा फैसला लिया है। दरअसल, अब मनोहर सरकार की निगाह इंटरनेट के जरिये कारोबार करने वाली कंपनियों पर है। प्रदेश सरकार को लगता है कि ई-व्यापार करने वाली कंपनियों से अच्छा राजस्व प्राप्त हो सकता है। अभी तक यह कंपनियां सरकार को कोई राजस्व नहीं देती।
राजस्व के मिलने से प्रदेश में विकास निर्माण अधिक रफ़्तार से हो सकते हैं। सूबे के आबकारी एवं कराधान मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने विभागीय अधिकारियों को ई-कामर्स कंपनियों से राजस्व अर्जित करने की संभावनाएं तलाश करने को कहा है।
आपको बता दें, ई-कॉमर्स या इ-व्यवसाय इंटरनेट के माध्यम से व्यापार का संचालन है; न केवल खरीदना और बेचना, बल्कि ग्राहकों के लिये सेवाएं और व्यापार के भागीदारों के साथ सहयोग भी इसमें शामिल है। अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ई-कामर्स कंपनियों के लिए पालिसी तैयार कर सकती है।
आम जनता से लेकर बड़े- बड़े उद्योगपति भी चाहते हैं कि इन कंपनियों से भी कर वसूला जाये। मोदी सरकार ने ई-कामर्स कंपनियों को लेकर नए नियमों की अधिसूचना पहले ही जारी कर रखी है। अब ई-कामर्स कंपनियों पर मिलने वाले उत्पादों पर यह लिखना जरूरी है कि सामान कहां बना है। अगर कोई कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
वर्तमान में कंप्यूटर, दूरसंचार और केबल टेलीविजन व्यवसायों में बड़े पैमाने पर विश्वव्यापी परिवर्तन हो रहे हैं। लेकिन अब केंद्र के इस फैसले के बाद कई कंपनियों ने अपने उत्पादों पर देश का नाम लिखने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन बात राजस्व अर्जित किए जाने की है। हजारों कंपनियां ऐसी हैं, जो ई-कारोबार कर रही हैं, लेकिन वह सरकार को राजस्व प्रदान नहीं करती।